________________ भाषाटीकासहित. है उसीप्रकार पिताभी तब देवताओंकी पूजा और वन्दन, क्षमा, अनुष्ठान आदि अनेक उपायोंसे पुत्रका कल्याण चाहते रहते हैं, हे युधिष्टिर, एवं माता पिता दोनों यह पुत्र कैसा होगा ऐसी चिन्ता सदा करते हैं, तथा पुत्रके मंगलकी इच्छा करतेहुये मातापिता सर्वदा अपनी आशाको सफल होनेकी आकांक्षासे अपने मनको पुत्रहीमें लगाये रहते है, जो पुत्र मातापिताको आशाको सफल करता है, और जिसके ऊपर पिता माता सदैव प्रसन्न रहते हैं, उसीको धर्मका जाननेवाला समझना चाहिये, वही पुत्र इस जगतमें कीर्तिवाला और धर्मिष्ट कहा जाता है, तथा जो अपने मातापिताकी सेवा नहीं करता, वह यज्ञादि कर्म करताहुआभी कुछ फलको प्राप्त नहीं होता, एवं जो स्त्री अपने पतिकी सेवा करती है वह स्वर्गको जीत लेती है, हे युधिष्टिर यहां एक इतिहास सुनो, कोई एक कौशिक नामक तपस्वी ब्राह्मण था, वह अंगों सहित उपनिषद और वेदोंका अध्ययन करता था, एक दिन वह ब्राम्हण किसी वृक्ष की जडके ... P.P.AC. Gunratnasuri M.S. Jun Gun Aaradhak Trust.