________________ भाषाटीकासहित. कि तुम्हारा वगुलीका हत्यारूप कर्म हमने जान लिया हे ब्राम्हणोत्तम, यह क्रोध मनुष्योंके शरीरमें रहनेवाला शत्रु है, जो क्रोध और मोहको त्याग करता है, सत्य बोलता है, तथा गुरुको प्रसन्न रखता है, उसीको देवतालोक उत्तम ब्राम्हण मानते हैं, तथा जो हिंसा नहीं करता, जितेंद्रिय रहता, और पवित्र रहता कामको जीत लेता सब जीवोंको समान दृष्टिसें देखता, वेदोंको पढ दूसरोंको पढाता है, स्वयं यज्ञ करता, और दूसरोंको कराता है, और जो यथा शक्ति दानभी करता है, उसीको ब्राम्हण कहते हैं, हे ब्राम्हण धर्म बहुतही सूक्ष्म है, इसीसे यद्यपि तुम धर्मके जाननेवाले वेद पाठी और पवित्र रहनेवाले हो तथापि तुम धर्मको तत्त्वपूर्वक नहीं जानते हो, ऐसा मुझको जान पडता है, यदि तुम सचमुच धर्मको भलीभांति नहीं जानते हो तो मिथिला पुरीमें धर्मव्याधके पास जावो, वह अपने मातापिताकी सेवा करता हुआ, सत्यवादी और इन्द्रियोंको वशमें रखनेवाला है, उसके पास तुम जावो तुह्मारा कल्याण . P.P.Ac. Gunratnasuri M.S. Jun Gun Aaradhak Trust