________________ स्त्रीचरित्र, साधन हैं, सो सब वर्गों के मनुष्य अपने अपने वर्णानुसार - कर्म करके जीविका करतेहैं, शूद्रके सेवा, वैश्यके खेती, क्षत्रियको संग्राम; और ब्राह्मणको ब्रह्मचर्य, तप, मंत्र तथा सत्यवादी होना योग्य हैं, राजाके अपधर्मसे प्रजामें अनेक उपद्रव होते हैं, प्रजामें से कोई लूला, कोई लंगडा, कोई अंधा, कोई बहिरा,कोई अंगहीन होता है. राजाके धर्मवान् होनेसे प्रजाको सुख मिलताहै,निरन्तर प्रजा सुखी रहती है. हमारा राजा जनक बडा धर्मात्मा है, उसके राज्य में सदा धर्मकी वृद्धि होती है, अपने धर्ममें सदा रत रह प्रजा पर सदा अनुग्रह करता है, और दंडके योग्यपुरुषको दंड देता हैं, चाहे वह अपना कुटुम्बीही क्यों न हो. - गुप्त दूतों द्वारा राजा जनक अपनी प्रजाके धर्मको निरन्तर - देखता रहता है. इसीसे महाराजा जनकके राज्यमें चारों वर्गों के मनुष्य अपने अपने कर्ममें निरन्तर रत रहते हैं, यहां विपरीत कर्म करनेवाला कोईभी नहीं देखपडता है, यह महाराजा जनकके धर्मात्मा होनेहीके कारण सब कुछ आनन्द व धर्म दीख पडता है, जो राजा अधर्मी होता है P.P. Ac. Gunratnasu Guh Aaradhakrust