________________ . स्त्रीचरित्र जिन जगसुखहित करी जातिकीजगतहंसाई लखि जिनको मुख वीर सबै शिर रहे नवाई। -जाइशीशवरुधर्महित यह सिसौदियाथापहै अछा अब आप सुखसे पधारिये और अपने हिमायतीके साथ शोघही फिर हमारी अतिथिसेवा रणक्षेत्रमें स्वीकार कोजिये यही प्रार्थना है, यह सुन मानसिंहराणा कि और क्रोधपूर्वक देखते हुये चले गये, और दरवार अकबरमें सब हाल कहा तब अकबरने हुक्म दिया कि, आप मुहब्बतखांके साथ शाही लशकर लेजाकर उसको सजा दो, यह सुन महाराज. मानसिंह लशकर सहित. चढ गये और घोर युद्ध हुआ, परंतु प्रतापसिंहके साथ विशेष सेना नहीं थी, इस कारण उदयपुरको छोड दिया, यवनोंको वहांकी लूटमें एक कौडीभी हाथ न लगी, अकबरने यह हाल सुनकर * महाराणाकी बद्भुत प्रशंसा की... / P.AC. Gunratnasuri M.S. ... July Gun Aaradhak Trust