________________ स्त्रीचरित्र. को उलंघन करके संसारमें अपयशके भागी होते है। . परंच परमेश्वरके यहांभी उत्तरदाता होना पडता है, / तो स्त्री हूं,मेरो बुद्धि बहुत छोटी है,पर मेरी दोही इच्छा है। - या तो इन विजातीय शत्रुओंको मारकर महाराजके साथ - चित्तौर राज्य सिंहासनकी अधिकारिणी बनूं, अथवा वीरदर्पसे गिरेहुये महाराजके पवित्र शरीरको अपने गोदमें लेकर हंसते हंसते भारत रमणियोंका मुख उज्ज्वल करके पतिलोकमें आपसे मिलूं., : - यहसुन महाराणाने कहा, प्रिये, धन्य हो, प्रतापसिंकी - अर्धांगिनी होनेका अधिकार तुम्हारे अतिरिक्त किसको हैतुम निश्चय रक्खो जब तक इस शरीरमें प्राण है, कभी इन म्लेक्षोंकी आधीनता स्वीकार न करेंगे और हमने सुना है कि,मानसिंह दक्षिण विजय करके आते है,उदयः पुरमेंभी रहनेवाले हैं उनके आतिथ्यका भार मंत्रोका सोंपा है, क्योंकि हम तो उसम्लेक्ष प्राय हिन्दू कुल कल कका मुख नहीं देखना चाहते। - अनन्तर मानसिंह उदयपुर आये उनका अतिथि -- P.P.AC. Gunratnasuri. M.S. Jul Gun Aaradhak Trust