________________ भाषाटीकासहित. 774 तथा सन् 717 ईसवी में धोखा देकर वहाँके राजा दाहिरको मारा, तब दाहिर राजको वीर रानी और पुत्र वधूने साहस करके अपने मानको रक्षा की, उसका कुछ वृत्तान्त महारानोकी वोरता मात्र प्रगट करनेक लिये हम यहां लिखते हैं.. ... जब दाहिरराज मारे गये और उनका पुत्र यवनोंकी अधिक सेनाको देखकर भाग गया और अपना दूत अपनो माताके समीप भेजा, तब उस दूत और महारानीकी जो बातचीत हुई, सो ध्यानपूर्वक सुनने के योग्य है. दूत-महाराणो जीको यह दास प्रणाम करता है, रानी-तुझारा कुशल हो, युद्धक्षेत्रमें राजकुमार तो कुशलसे है ? ' दूत-मैं युद्धक्षेत्रसे नहीं आता किन्तु राजकुर कुशलसे हैं. रानी-(कुछ उदिम होकर) युद्धक्षेत्रसे नहीं आते तो राजकुमारकी कुशल कैसे जाना ? .. दूत-राजकुमारने गुद्धक्षेत्रको परित्याग कर दिया है। T P.P.AC..Gunratnasuri M.S.. Jun Gun Aaradhak Trust