________________ स्त्रीचरित्र वामहुये विना क्या यह कभी सम्भव था, महाराजने जिस बालककी रण कुशलता देख जयसिंह नाम रखा. वही कुमार जयसिंह रणमें पीठ देकर कायरोकोनाई भागगया, यह सब अदृष्टका फल और दैवका कोप नहीं तो क्या है. स्मरण करनेसे हृदय फटा जाता है, परन्तु इस समय क्या करना चाहिये वह अपना विचार प्रगट करोः... - मंत्री०- मेरे विचारमें युद्ध करना योग्य जान पडता है. रानी०-मेरे विचारमें, इस कहनेकी क्या आवश्यकता है यहां युद्धका विरोधी कौन है ? कौन ऐसा का पुरूष है जो अबभी युद्ध की अवश्यकता स्वीकार न करे,मंत्रिवर यदि ऐसा का पुरुष कोई हो तो कह दो कि सिन्धुदेशम . उसके लिये स्थान नहीं हैं, वह शीघ्रही राज्य परित्याग करै, यदि इस समय एकव्यक्तिभी मेरी सहायता न करें, तोभी मैं अकेलीही यवनोंके विरुद्ध युद्ध क्षेत्रमें प्रवेश करूंगी यह बात किसी प्रकार अन्यथा न होगी. मंत्री०- इस राज्यमें ऐसा कौन अज्ञ है जो आपका P.P.AC. Gunratnasuri M.S. Gun Aaradhak Trust