________________ भाषाटीकासहित 95 वीरतामें सन्देह करै, और आपकी सहायता न करै, यहां कोईभी ऐसा नहीं, जो युद्धका विरोधी हो.. रानी-तो फिर तुमारे वाक्य का क्या तात्पर्य है, मंत्री०--यवनसेनापतिने सन्धि करनेके अभिप्रायसे - दूतको भेजा है. रानी०-- (विस्मित होकर ) रणमें विजयी होकरसन्धिके प्रस्तावका क्या तात्पर्य है, चतुरताही इन लघुचित यवनोंका भूषण है, यह प्रस्तावभी चतुरतासे भिन्न नहीं. मंत्री-चतुरता नहीं भी हो सकती. यवन लोग कुछ दिग्विजयकी आशासे इस देशमें नहीं आये राज्यस्थापन करना इनका अभिप्राय नहीं है ये सब लटेरू है भारतका ऐश्वर्य हरण करनाही इनका मुख्य अभिलाष है.. रानी-तथापि सन्धिका प्रस्ताव क्यों. = मत्री-यद्यपि यवन सेनापतिने जयलाभ किया, तथापि क्षत्रियोंका पराक्रम स्मरण करके उसने समझ लिया होगा कि हमारा मार्ग अभी निष्कण्टक नहीं हुवा. P.P.AC, Gunratnasuri M.S. Jun: Gun Aaradhak Trust