________________ स्त्रीचरित्र - रानी-(अधिक उद्विग्न होकर) क्यों, सेना एकत्र करनेको ? .. - दूत-नहीं, टिड्डियोंके दलके समान यवनसे नाके सन्मुख जय प्राप्त होनेकी आशा नहीं है.. रानी-(दृढ और गम्भीर स्वरसे) दूत ! तो क्या वह कायर युद्ध त्यागकर भाग गया ? तुम यही दारुण समाचार लेकर आये हो (खेदसे) हाय ! उसको मृत्युका समाचार क्यों न लाये ? दूत-महारानीजी ! ऐसी अमङ्गल बात न कहिये. रानी-युद्धक्षेत्रमें पुत्रकी मृत्यु इस समय मेरे पक्षमें मङ्गलकी बात है. कुछ अमङ्गल नहीं. .. दूत-राजकुमार उत्तरकी ओर गये हैं. रानी-क्यों दक्षिणका मार्ग क्या कंटकसे घिरा है. हा क्या पुरुष क्षत्रिय सन्तानको मृत्यु भय ? दूत-राजकुमारने आपके चरणोंमें प्रणाम करके यही अनुमती दी है कि, आप लोग मान रक्षाके लिये P.P.AC.Gunratnasuri M.S. Jun Gun Aaradhak Trust