________________ .. भाषाटीकासहित. छोटाभाई सक्ताभी उनको छोडकर बादशाहसे जा मिला, इसके बदलेमें उसको उसके पूर्वजोंकी राजधानी चित्तौरगढ दिया गया और राणाको पदवी दीगई. __ इतना होनेपरभी वीर प्रतापसिंह महाराणाका उत्साह __ और साहस बढताही रहा, अकेले निःसहाय प्रतापसिंह पचीस वर्ष तक ऐसे प्रबल शत्रुके साथ लडते रहे, अन्तमें. एक प्रकार सफल मनोरथभी हुये. __एक दिन उदयपुरके राज्यदरिमें बैठे महाराणा - प्रतापसिंहजी भीमाशा मंत्री और कृष्णसिंह आदि सरदार गण राज्यकी वर्तमान दशापर विचार कर रहे थे, इतनेमें कविराजाजी आय विराजे, और सबको इच्छा पाय प्रतापसिंहजीके पूर्व पुरुषोंकी कोर्तिका वर्णन क स्ने लगा. सूर्यवंश इक्ष्वाकु जगतमें कीरति छाई। प्रगटे पूरन ब्रह्म राम रावणहिं नशाई // तिनके लक सुत भयेशत्रुहति कीरतिथापी। UP.P. Ac. Gunratnasuri M.S Jun Gun Aaradhak Trust