________________ स्त्रीचरित्र. ताते हे नर व्याघ्र! वेगिरन घोष प्रचारो॥ -आगो पीछोत्यागि होहु सब एक प्रेममय। यह निश्चय जियधरौ धर्म जित जय तित - निश्चय॥ ... यह सुन प्रतापसिंह वचन..... जवलौं तनमें प्राणन तवलों टेकहि छोडौं। स्वाधीनता बचाइ दासता शृंखल तोडौँ // जो निजकुलमर्याद सहित जीवन तौ जीव न। नहिं ताते शतगुणित मरन रनमें जस पीवन // जो पै निजशरहि मारिके यह प. रतिज्ञा सखि हौं / तौ या सिंहासन पै बहरि पगधारन अभिलाषि हों। अन्तःपुरमें विराजमान महाराणा प्रतापसिंह कुछ * सोच विचार कर रहे हैं / कि.... " जबसे यहां मुसलमानोंका आगमन हुवा. तबसे सारा देश उजाड होगया, खेत ऊसर होरहे हैं, सारी श्रीजातीरही un Gun Aaradhak Truet P.P.AC.GunratnasuriM.S: