________________ स्त्रिचरित्र मान पुत्रीकोभी पढाना उचित है // 16 // तथा "वृहत्स्मृतिसारसंग्रह " नामक धर्मशास्त्रमें लिखा है कि, माता पिता जैसे पुत्रको पढावै वैसेही पुत्रीकोभी पढावे,॥ मू-गृहस्थः पालयेदारान् विद्यामभ्यासयेत्सुतान् / गोपायेत्स्वजनान्बन्धून एष धर्मः सनातनः॥४७॥ कन्याप्येवं पा. लनीय शिक्षणीय प्रयत्नतः // देया वरायः विद्वषे धनरत्नसमन्विता // 48 // . अर्थ-गृहस्थजन अपनी स्त्रियोंकी रक्षा करै, और पुत्रोंको विद्याका अभ्यास करावै, और अपने स्वजन बन्धुओंका पालन पोषण करै यही गृहस्थियोंका सनातन धर्म है, // 47 // इसीप्रकार पिता कन्या का भी पालन कर, और बड़े यत्नसे पुत्रकी तरह विद्याका अभ्यास करावे, और धन रत्न सहित उत्तम विद्वान् पुरुषके साथ उसका विवाह करै // 48 // P.P:Ac.'Gunratnasuri M.S... - Jun Gun Aaradhak Trust . .