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( १३ ) इस समय हमें "ज्ञान ग्रन्थ मालानुं पुष्प चौथु"-वर्तमान परिस्थिति अने अहिंसा, नामकी एक पुस्तक हमारे आत्मीय बन्धु की भेजी हुई मिली है जिसके लेखक हैं सुप्रसिद्ध कविवर्य मुनि महाराज श्री नानचंदजी । यह पुस्तक मुनिश्री सन्तबालजी और मुनिश्री न्यायविजयजी महाराज की लेख माला बन्द होने के पश्चात् प्रकाशित हुई है। इस किताब के टाईटिल के अन्तिम पेज पर लिखा है कि:
छप रहा है
कान्ति नो युग स्रष्टा (क्रांतिकार नुं ज्वलन्त चित्र )। मालूम होता है श्रीमान् संतबालजी की लिखी हुई "धर्मप्राण लौकाशाह" नाम की लेखमाला में जो कुछ लिखना शेष रह गया था उनका अब पुस्तकाकार में पुनः मुद्रण करवाने की पावश्यकता प्रतीत हुई है अथवा स्थानकवासी साधु श्री कानजीस्वामी जो अभी कुछ दिन हुए मुंहपत्ती का डोरा तोड़ कर जैनमन्दिर मूर्ति को मानने लगे हैं उन के लिए श्रीमान् सन्तबालजी ने "धर्मप्राण लौंकाशाह" नामकी लेखमाला लिख अपने परितप्त समाज को आश्वासन दिया था किन्तु उस लेखमाला का फल उल्टा ही हुआ और तदनुरुप स्वामी कल्याणचन्दजी एवं गुलाब. चन्दजी जैसे प्रतिष्ठित विद्वान् साधु हालही में महपतो का डोरा तोड़ मन्दिर मूर्ति के उपासक बन गए हैं। अतएवं बहुत जरूरी है कि इस परिताप के लिए भी स्थानकवासी समाज को कुछ न कुछ सान्त्वना तो मिलनी ही चाहिये अतः संभव
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