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अपने को अनुशासित रखता था; क्योंकि पाप-पुण्य की मर्यादा से समाज प्रतिबन्धित था। संस्कृत-ज्ञान को मीडिया के माध्यम दूरदर्शन आदि से प्रचारित करने पर आपने बल दिया। आपने इस विरासत को जन सामान्य को सुलभ कराने की आवश्यकता बतायी।
विशिष्ट अतिथि के व्याख्यान में जिलाधिकारी श्री आलोक कुमार ने संस्कृत को लोकप्रिय बनाने के लिए पर्याप्त प्रयास करने पर बल दिया। आपने संस्कृत विश्वविद्यालय में कम्प्यूटर की शिक्षा देने की आवश्यकता बतायी।
अध्यक्षीय भाषण में माननीय कुलपति प्रो. राममूर्ति शर्मा जी ने सरस्वतीभवन-पुस्तकालय को इण्टरनेट से जोड़ने की योजना से लोगों को अवगत कराया। आपने यह भी बताया कि अग्रिम वर्ष से 'कम्प्यूटर-डिप्लोमा' कोर्स विश्वविद्यालय में प्रारम्भ किया जाएगा।
सभा की परिणति राष्ट्रगान से हुई। सभा का सञ्चालन डॉ. कुंजबिहारी शर्मा ने किया।
सन्ध्या समय कुलपति जी के आवास पर आयोजित लघु जलपान गोष्ठी का दृश्य अत्यन्त मनमोहक रहा। इसमें आगत अतिथियों के साथ सभी विभागाध्यक्ष आमन्त्रित थे।
[ङ ] अखिल भारतीय संस्कृत- छात्र-सम्मेलन
संस्कृत वर्ष के उपलक्ष्य में अखिल भारतीय संस्कृत-छात्र-सम्मेलन का आयोजन २९-३१ मार्च, २००० तक हुआ। यह सम्मेलन संस्कृतभारती एवं सम्पूर्णानन्द संस्कृत विश्वविद्यालय के संयुक्त तत्त्वावधान में सम्पन्न हुआ। इसके कार्य-क्रम अनेक सत्रों में पृथक्-पृथक् स्थानों पर चले। मुख्य मंच विश्वविद्यालय के प्राङ्गण में मनमोहक ढंग से बना था। प्रथम सत्र में 'संस्कृत का अतीत एवं ह्रास का कारण' विषय पर चर्चा डॉ. के. सूर्यनारायण राव की अध्यक्षता में सम्पन्न हुई। इसके मुख्य वक्ता पण्डित श्री वासुदेव द्विवेदी एवं डॉ. चमू कृष्ण शास्त्री रहे। इसके अनेक सत्रों में विद्वत्सङ्गोष्ठी, छात्रों के शास्त्रीय भाषण, श्लोक-अन्त्याक्षरी, सूत्रान्त्याक्षरी आदि विविध प्रतियोगिताएँ हुईं। प्रथम, द्वितीय, तृतीय स्थान प्राप्त करनेवाले छात्रों के साथ-साथ सान्त्वना पुरस्कारों से भी छात्रों को पुरस्कृत किया गया।
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