Book Title: Prakrit evam Sanskrit Sahitya me Gunsthan ki Avadharana
Author(s): Darshankalashreeji
Publisher: Rajrajendra Prakashan Trust Mohankheda MP
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प्राकृत एवं संस्कृत साहित्य में गुणस्थान की अवधारणा...
तृतीय अध्याय........{122) क्षुद्रभवग्रहण परिमाण और उत्कृष्ट काल अन्तर्मुहूर्त है । औदारिक मिश्रकाययोगी सास्वादनसम्यग्दृष्टि गुणस्थानवी जीव सभी जीवों की अपेक्षा जघन्य काल एक समय और उत्कृष्ट काल पल्योपम के असंख्यातवें भाग परिणाम हैं। एक जीव की अपेक्षा औदारिक मिश्रकाययोगी सास्वादनसम्यग्दृष्टि गुणस्थानवी जीवों का जघन्य काल एक समय और उत्कृष्ट काल एक समय कम छः आवलि परिमाण है। ___ औदारिकमिश्रकाययोगी असंयतसम्यग्दृष्टि गुणस्थानवी जीव सभी जीवों की अपेक्षा, जघन्य और उत्कृष्ट काल अन्तर्मुहूर्त मात्र हैं। एक जीव की अपेक्षा असंयतसम्यग्दृष्टि गुणस्थान का जघन्य काल 3 । एक जीव की अपेक्षा औदारिक मिश्रकाययोगी असंयतसम्यग्दृष्टि गुणस्थानवी जीवों का उत्कृष्ट काल अन्तर्मुहूर्त मात्र है । औदारिक मिश्रकाययोगी सयोगीकेवली गुणस्थानवर्ती सभी जीवों की अपेक्षा इस गुणस्थान का जघन्य काल एक समय और उत्कृष्ट काल संख्यात समय है । एक जीव की अपेक्षा औदारिक मिश्रकाययोगी सयोगीकेवली गुणस्थानवी जीव का जघन्य और उत्कृष्ट काल एक समय मात्र है। वैक्रियकाययोगी मिथ्यादृष्टि और अविरतसम्यग्दृष्टि गुणस्थानवी जीव, सभी जीवों की अपेक्षा, तीनों कालों में होते हैं। एक जीव की अपेक्षा इन जीवों का जघन्य काल एक समय और उत्कृष्ट काल अन्तर्मुहूर्त है । वैक्रियकाययोगी सास्वादनसम्यग्दृष्टि गुणस्थानवी जीवों का काल सामान्य के समरूप जानना चाहिए । वैक्रियकाययोगी में सम्यग्मिथ्यादृष्टि गुणस्थान का काल मनोयोगियो के समान हैं । वैक्रियकाययोगी जीवों में मिथ्यादृष्टि और असंयत सम्यग्दृष्टि गुणस्थानों का काल, सभी जीवों की अपेक्षा जघन्य से अन्तर्मुहूर्त है। सभी जीवों की अपेक्षा, वैक्रियमिश्रकाययोगी मिथ्यादृष्टि और असंयतसम्यग्दृष्टि गुणस्थान का उत्कृष्ट काल पल्योपम का असंख्यातवाँ भाग है। एक जीव की अपेक्षा वैक्रियमिश्रकाययोगी मिथ्यादृष्टि और असंयतसम्यग्दृष्टि गुणस्थानवी जीवों में इन गुणस्थानों का उत्कृष्ट काल अन्तर्मुहूर्त है । वैक्रियमिश्रकाययोगी में सास्वादनसम्यग्दृष्टि गुणस्थान का काल, सभी जीवों की अपेक्षा, जघन्यतः एक समय मात्र है। वैक्रियमिश्रकाययोगी सास्वादनसम्यग्दृष्टि गणस्थान का उत्कष्ट काल पल्योपम का असंख्यातवां भाग परिमाण है । एक जीव की अपेक्षा इन गणस्थानों का जघन्यकाल एक समय है। वैक्रियमिश्रकाययोगियों में सास्वादनसम्यग्दृष्टि गुणस्थान का उत्कृष्ट काल एक समय कम छः आवलि परिमाण है । आहारक काययोगियों में प्रमत्तसंयत गुणस्थानवी जीवों में सभी जीवों की अपेक्षा इस गणस्थान का जघन्य काल एक समय है। आहारककाययोगी प्रमत्तसंयत गणस्थान उत्कृष्ट काल अन्तर्मुहूर्त है । एक जीव की अपेक्षा, आहारककाययोगी प्रमत्तसंयत गुणस्थानवी जीवों में इस गुणस्थान का जघन्य काल एक समय है। एक जीव की अपेक्षा आहारककाययोगी प्रमत्तसंयत गुणस्थानवी जीवों में इस गुणस्थान का उत्कृष्ट काल अन्तर्महर्त है। आहारकमिश्रकाययोगी प्रमत्तसंयत गणस्थानवी जीवों में इस गणस्थान का सभी जीवों अन्तर्महर्त और उत्कष्ट काल भी अन्तर्महर्त है। एक जीव की अपेक्षा. आहारकमिश्रकाययोगी जीवों में इस गणस्थान का जघन्य काल अन्तर्मुहूर्त और उत्कृष्ट काल भी अन्तर्मुहूर्त है। कार्मणकाययोगियों में मिथ्यादृष्टि गुणस्थानवी जीव सभी जीवों की अपेक्षा, तीनों कालों में होते हैं। एक जीव की अपेक्षा कार्मणकाययोगी जीवों में मिथ्यादृष्टि गुणस्थान का जघन्य काल एक समय है। एक जीव की अपेक्षा कार्मणकाययोगी मिथ्यादृष्टि गुणस्थानवी जीवों में इस गुणस्थान का उत्कृष्ट काल तीन समय है। कार्मणकाययोग में सास्वादनसम्यग्दृष्टि और असंयतसम्यग्दृष्टि गुणस्थान का काल, सभी जीवों की अपेक्षा, जघन्यतः एक समय और उत्कष्ट काल आवलि के असंख्यातवें भाग परिमाण है । एक जीव की अपेक्षा इन जीवों में इन गणस्थानों का जघन्य काल एक समय और उत्कृष्ट काल दो समय है । कार्मणकाययोगी सयोगीकेवली गणस्थानवी जीवों में सभी जीवों की अपेक्षा इस गुणस्थान का जघन्य काल तीन समय है । सभी जीवों की अपेक्षा कार्मणकाययोगी सयोगीकेवली गुणस्थानवी जीवों में इस गुणस्थान का उत्कृष्ट काल संख्यात समय है । एक जीव की अपेक्षा कार्मणकाययोगी सयोगीकेवली गुणस्थानवी जीवों में इस गुणस्थान का जघन्य और उत्कृष्ट काल तीन समय मात्र है ।
वेदमार्गणा में स्त्रीवेदी मिथ्यादृष्टि गुणस्थानवी जीव तीनों कालों में होते हैं। एक जीव की अपेक्षा स्त्रीवेदी मिथ्यादृष्टि गुणस्थानवी जीवों का जघन्य काल अन्तर्मुहूर्त और उत्कृष्ट काल पल्योपमशतपृथक्त्व है । स्त्रीवेदी सास्वादनसम्यग्दृष्टि
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