Book Title: Prakrit evam Sanskrit Sahitya me Gunsthan ki Avadharana
Author(s): Darshankalashreeji
Publisher: Rajrajendra Prakashan Trust Mohankheda MP
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६
परावर्तमान कर्म बंध
द्वार
७४
४७
४६
३६
३ ५
२६
२७
.
0
.
ला
परावर्तमान ६ कर्म प्रकृति
बंध ६७ अपरावर्तमान ५
कर्म बंध |६८ | अपरावर्तमान | २८
कर्म प्रकृति
बंध द्वार ६६ भूयस्कार
कर्म बंध भूयस्कार
|७
।
२८
२८
।
२८
२८२८४
७०
कर्म प्रकृति
बंध अल्पतर कर्म |
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भूयस्कार
बंध के
स्थान
कहे है
कर्म
पढ़ने से | अल्पतर
प्रकृति
|बंध के
स्थान
अल्पतर कर्म जो ऊपर प्रकृति बंध
होते
उनको उलटे
द्वार
७३
जो
|बंध
अल्पतर
| बंध के
प्रथम समय | बंधा
वह बंध | जितने
काल
तक रहे
| उसे
अवस्थित | बंध
। कहना
भूयस्कार भूयस्कार
७४
के स्थान या
अल्पतर
२८ स्थान | बध किये बाद फिर वह बंध
रहे वह
अवस्थित | कर्म
। प्रकृति
अवस्थित कर्म बंध | अवस्थित कर्म प्रकृति बंध द्वार | अव्यक्त कर्म
|बंध
| जितने काल
०
७५
०००
बंध
६
१०१
EU
५९
२६
१५
समुच्चय |११७ कर्म प्रकृति
परिशिष्ठ-१........{480}
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