Book Title: Prakrit evam Sanskrit Sahitya me Gunsthan ki Avadharana
Author(s): Darshankalashreeji
Publisher: Rajrajendra Prakashan Trust Mohankheda MP

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Page 561
________________ प्राकृत एवं संस्कृत साहित्य में गुणस्थान की अवधारणा... परिशिष्ठ-२........{505} योगदृष्टि समुच्चय लेखक: श्री हरिभद्र सूरि प्रकाशन : जैन ग्रन्थ प्रकाशक संस्था, अमदाबाद (सन् १६४०) योगविंशिका लेखक :- हरभद्रसूरि विरचित संस्कृत टीका :- उपा. यशोविजयगणी सम्पादक :- पं. अभयशेखरविजयगणी प्रकाशक :- दिव्यदर्शन ट्रस्ट, ३६, कलिकुण्ड सोसायटी, धोलका - ३८७८१० प्रथमावृत्ति :- वि.सं. २०३६, द्वितीयावृत्ति:- वि.सं. २०५५ योगशतक :- हरभद्रसूरि रचित, स्वोपराटीकासह :- मुनिचन्द्रसूरि (शेष पूर्ववत्) राजेन्द्रसूरि स्मारक ग्रन्थ प्रकाशक :- श्री सौधर्मबृहत्तपागच्छीय जैन श्वेताम्बर संघ, आहोर (राजस्थान) मुद्रक :- गुलाबचन्द्र ललुभाई, महोदय प्रिन्टिंग प्रेस, भावनगर वि.सं. २०१३, वी.सं. २४८२, ई.सन् १६५७ संयोजक :- यतिन्द्रसूरिजी, शक सं. १८७८ राजेन्द्र सं. ५० राजप्रश्नीय सम्पादक: श्री रतनमुनिजी मुद्रक: सतीश चन्द्र शुक्ल, वैदिक यंत्रालय, केसरगंज, अजमेर - ३०५००१ प्रकाशक : श्री आगम प्रकाशन समिति, ब्यावर (राजस्थान) द्वितीय संस्करण : वीर.नि.सं. २५१७, वि.सं. २०४८, ई.सन् १९६१ लोकप्रकाश भाग-1 द्रव्यलोक लेखक :- विनयविजयगणि विरचित भाषान्तरकर्ता :- श्रीयुत् मोतीचन्द औधवजी शाह, भावनगर सम्पादक :- पू. वज्रसेनविजयजी प्रकाशक:- कोठारी भेरूलाल कन्हैयालाल रीलीजीयस ट्रस्ट, मुम्बई -६ तेजस प्रिन्टर्स, ७, ध्वनि अपार्टमेन्ट, खानपुर, बहाई सेन्टर, अहमदाबाद व्यवहारसूत्र वाचना प्रमुखः आचार्य तुलसी सम्पादक: युवाचार्य महाप्रज्ञ प्रकाशन: जैन विश्व भारती लाडनूं (राजस्थान) मुद्रक: श्री वर्धमान द्वितीय संस्करण : वि.सं. २०५७ वीर.नि.सं. २५२७ सन् मार्च २००० व्यवहारभाष्य सम्पादक: आचार्य महाप्रज्ञ, समणी कुसुमप्रमा प्रकाशक: जैन विश्व भारती लाडनूं (राजस्थान) मुद्रक : पवन ऑफसेट प्रिंटर्स, नवीन शाहदरा, दिल्ली-११०००३२ प्रथम संस्करण : वि.सं. २०५३, ई.सन् १९६६ वृष्णिदसासूत्र वाचना प्रमुख आचार्य तुलसी, सम्पादक : आचार्य महाप्रज्ञ प्रकाशन: जैन विश्व भारती लाडनूं (राजस्थान) प्रकाशन तिथि: वि.सं. २०४५ कार्तिक कृष्णा-१३ सन् १९८६ मुद्रक : एस. नारायण एण्ड सन्स (७११७), १८, पहाड़ी धीरज, दिल्ली-६ मुद्रक : Jain Education Intemational For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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