Book Title: Prakrit evam Sanskrit Sahitya me Gunsthan ki Avadharana
Author(s): Darshankalashreeji
Publisher: Rajrajendra Prakashan Trust Mohankheda MP

View full book text
Previous | Next

Page 563
________________ प्राकृत एवं संस्कृत साहित्य में गुणस्थान की अवधारणा...... परिशिष्ठ-२........{507} षोडशकप्रकरण भाग -1-2 लेखक :- हरिभद्रसूरि टीका सम्पादक :- यशोविजयजी प्रकाशक:- अंधेरी गुजराती जैन संघ, १०६, एसवी रोड़, इर्ला ब्रीज, अंधेरी वेस्ट, मुम्बई-५६ . मुद्रक : श्री पार्श्व कम्प्यूटर्स, ३३, जनपथ सोसायटी, घोड़ासार, अहमदाबाद-५०, वि.सं. २०५२ समयसार लेखक : कुन्दकुन्दाचार्य प्रकाशक: श्री परमश्रुत प्रभावक मंडल, अगास, श्रीमद् राजचन्द्र आश्रम, वाया-आणंद, पो बारीया-३८८१३० (गुजरात) मुद्रक: अग्रवाल प्रिन्टर्स, डिप्टीगंज, सदर बाजार दिल्ली तृतीय संस्करण : वीर.नि.सं. २५०८, वि.सं. २०३८ ई.सन् १९८२ समयावागसूत्र वाचना प्रमुख :- आचार्य तुलसी, सम्पादक :-मुनि नथमलजी प्रकाशन :- जैन विश्व भारती लाडनूं (राजस्थान) प्रकाशन तिथि :- वि.सं. २०३१ कार्तिक कृष्णा-१३ मुद्रक :- एस. नारायण एण्ड सन्स (७११७), १८, पहाड़ी धीरज, दिल्ली-६ समयावांगसूत्र मूल लेखक: गणधर विरचित सम्पादक: श्री मिश्रीलालजी महाराज अनुवादक: पं. हीरालाल शास्त्री प्रकाशक: श्री आगम प्रकाशन समिति, ब्यावर (राजस्थान) मुद्रक : __सतीश चन्द्र शुक्ल, वैदिक यंत्रालय, केसरगंज, अजमेर-३०५००१ द्वितीय संस्करण : वी.नि.सं. २५१७, वि.सं. २०४८ सन् १९६१ समयावांगसूत्रटीका लेखक: दीपरत्नसागरजी सम्पादक : आगमश्रुत प्रकाशन दिनांक : १४/४/२००० रविवार २०५६ चै.सु. ११ स्थानागसूत्र वाचना प्रमुख :- आचार्य तुलसी सम्पादक :- मुनि नथमलजी प्रकाशन :- जैन विश्व भारती लाडनूं (राजस्थान) प्रकाशन तिथि :- विसं २०३१ कार्तिक कृष्णा-१३ मुद्रक :- एस. नारायण एण्ड सन्स (७११७), १८, पहाड़ी धीरज, दिल्ली-६ सन्मतिप्रकरण लेखक :- पं. सुखलालजी, पं. बेचरदासजी जीवराज दोशी, ज्ञानोदय ट्रस्ट, अहमदाबाद प्रकाशक:- रतिलाल दीपचन्द देसाई मंत्री, ज्ञानोदय ट्रस्ट, अनेकान्तविहार (श्रेयर- जी के पास), अहमदाबाद - ४ मई १९६३, वैशाख वि.सं. २०१६ सिद्धान्तसार संग्रह लेखक : नरेन्द्रसेनाचार्य सम्पादक :- डॉ. आदिनाथ उपाध्याय, डॉ. हीरालाल प्रकाशक :- श्री गुलाबचन्द दोशी, जैन संस्कृति संरक्षक संघ, सोलापुर श्री वर्द्धमान छापखाना, १३५, शुक्रवार पेठ, सोलापुर वी.नि.सं. २४८३, वि.सं. २०१३, ई.सन् १६५७ मुद्रक : Jain Education Intemational For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

Loading...

Page Navigation
1 ... 561 562 563 564 565 566