Book Title: Prakrit evam Sanskrit Sahitya me Gunsthan ki Avadharana
Author(s): Darshankalashreeji
Publisher: Rajrajendra Prakashan Trust Mohankheda MP

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Page 564
________________ प्राकृत एवं संस्कृत साहित्य में गुणस्थान की अवधारणा........ सूत्रकृतांगसूत्र वाचना प्रमुख :सम्पादक : प्रकाशन :प्रकाशन तिथि : मुद्रक :सूर्यप्रज्ञप्तिसूत्र वाचना प्रमुख :सम्पादक : प्रकाशन :प्रकाशन तिथि : मुद्रक : ज्ञाताधर्मकथासूत्र वाचना प्रमुख :सम्पादक : : प्रकाशन :प्रकाशन तिथि : मुद्रक : ज्ञानार्णव लेखक: हिन्दी अनुवाद प्रकाशक : मुद्रक : प्रथमावृत्ति : लेखक : चूर्णि : प्रकाशिका मुद्रक : Jain Education International आचार्य तुलसी मुनि नथमलजी जैन विश्व भारती लाडनू (राजस्थान) वि.सं. २०३१ कार्तिक कृष्णा - १३ एस. नारायण एण्ड सन्स (७११७), १८ पहाड़ी धीरज, दिल्ली-६ आचार्य तुलसी वाचार्य जैन विश्व भारती लाडनूं ( राजस्थान) विसं २०४५ कार्तिक कृष्णा - १३ सन् १६८६ एस. नारायण एण्ड सन्स (७११७) १५८, पहाड़ी धीरज, दिल्ली-६ आचार्य तुलसी मुनि नथमलजी जैन विश्व भारती लाडनूं ( राजस्थान) वि.सं. २०३१ कार्तिक कृष्णा- १३ एस. नारायण एण्ड सन्स (७११७), १८, पहाड़ी धीरज, दिल्ली-६ शुभचन्द्राचार्य विरचित पन्नालाल, बाकलीवाल श्री परमश्रुत प्रभावक मंडल, श्रीमद् राजचन्द्र आश्रम अगास वर्द्धमान मुद्रणालय, जवाहर नगर कालोनी, वाराणसी-9 वि.सं. १६६३ वि.नि.सं. २५०७, ई. सन् १६८१ द्वितीयावृत्ति: वि.सं. १६८३ चतुर्थावृत्ति: वि.सं. २०३१ श्रमण विशेषांक (16 जनवरी - जून सयुंक्तांक 2002) डॉ. सागरमल जैन डॉ. शिवप्रसाद तृतीयावृत्ति: वि.सं २०१७ पंचमा वृत्ति: वि.सं. २०३७ प्रधान सम्पादक : सम्पादक : प्रकाशक : - पार्श्वनाथ विद्यापीठ, आई.टी.आई. मार्ग करौंदी, पो. ऑ. बी.एच.यू., वाराणसी- २२१००५ (उ.प्र.) श्रीमदावश्यक सूत्र (उत्तरभाग ) भद्रबाहु विरचित जिनदास गणि श्री ऋषभदेव केशरीमलजी श्वेताम्बर संस्था, रतलाम श्री जैन बन्धु जुहारमल मिश्रीमलजी पालरेचा इन्दौर वी.नि.सं. २४५५, वि.सं. १६८६ सन् १६२६ परिशिष्ठ- २........ 508 For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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