Book Title: Prakrit evam Sanskrit Sahitya me Gunsthan ki Avadharana
Author(s): Darshankalashreeji
Publisher: Rajrajendra Prakashan Trust Mohankheda MP

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Page 541
________________ Jain Education Intemational १२८ | वेदनीय कर्म २ सत्ता द्वार १२६ मोहनीय कर्म २८ सत्ता द्वार । . २८ । २९-२१ २८ २-२१ | २८-२१ २९-२१ २८ ० २१-१३ १२-११ ५४-३२ ४-२-१ ६३ ६३ ६३६३६३६३६३ ५ ७७ ७७ १३० आयुकर्म ४ सत्ता द्वार १३१ | नाम कर्म | ६३ सत्ता द्वार | १३२ गोत्र कर्म २ सत्ता द्वार | १३३ अन्तराय ५ कर्म सत्ता द्वार १३४ |घुव कर्म |७ सत्ता द्वार १३५ ध्रुव कर्म | १२६ प्रकृति सत्ता द्वार | १३६ अध्रुव कर्म | ४ सत्ता द्वार | १३७ अध्रुव कर्म | २२ प्रकृति सत्ता द्वार १३८ । सर्वधाती कर्म सत्ता द्वार १६२ १२६ |१२६ । १२६ १२६ | १२६ |१२६ For Private & Personal Use Only |१२६ ६३ १२६ ६२ ७५ | २२ २२२२२२ २२ | २२ २२ ३ 10 ती १३६ २० २० २०२० | २० २०२० ।२० १४ । सर्वघाती कर्म प्रकृति सत्ता द्वार परिशिष्ठ-१........{485} www.jainelibrary.org

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