Book Title: Prakrit evam Sanskrit Sahitya me Gunsthan ki Avadharana
Author(s): Darshankalashreeji
Publisher: Rajrajendra Prakashan Trust Mohankheda MP

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Page 542
________________ Jain Education International ४ १४० | देशघाती कर्म ४ सत्ता द्वार १४१ | देशपाती कर्म २७ प्रकृति सत्ता २७ २७ २७ . २७ २७ १२ | ] १०० १०० १०१ ४ १०१ ९४ 28 19 १४७ | १४७ १४२ | अघाती कर्म | ४ सत्ता द्वार १४३ अघाती कर्म | १०१ प्रकृति सत्ता द्वार १४४ समुच्चय |१४८ कर्म प्रकृति सत्ता द्वार १४५ कर्म व्युच्छति द्वार कर्म प्रकृति व्युच्छति द्वार | १४८१४८ ०८ १४८ १४२ १४६ ७-१० मा 16-१० ७-१० -१० ७-१० क्षायिक ९-१० ७-१० | क्षायिक १० । | क्षायिक क्षायिक For Private & Personal Use Only १२६ | IA o ४७ | समुच्चय २ कर्म भंग द्वार १४८ जानावरणीय भंग द्वार १४६ | दर्शनावरणीय २ अंगद्वार १५० वेदनीय भंगद्वार १५१ मोहनीय चिौ , ६भां | चौ,४मां |ची,२भा भंगद्वार १५२ | आयु २६ मंगद्वार २ INo चौ,२मां | चौ,२मां चिौ ,१मां चौ,१मां | चौ,१मा | १६ भां 0 0 परिशिष्ठ-१........{486} www.jainelibrary.org

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