Book Title: Prakrit evam Sanskrit Sahitya me Gunsthan ki Avadharana
Author(s): Darshankalashreeji
Publisher: Rajrajendra Prakashan Trust Mohankheda MP

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Page 558
________________ प्राकृत एवं संस्कृत साहित्य में गुणस्थान की अवधारणा...... परिशिष्ठ-२........{502} पुष्पिकासूत्र वाचना प्रमुख :- आचार्य तुलसी, सम्पादक :- आचार्य महाप्रज्ञ प्रकाशन :- जैन विश्व भारती लाडनूं (राज.) प्रकाशन तिथि :- वि.सं. २०४५ कार्तिक कृष्णा १३ सन् १९८६ मुद्रक : एस. नारायण एण्ड सन्स (७११७), १८, पहाड़ी धीरज, दिल्ली-६ पुष्पचूलिका वाचना प्रमुख :- आचार्य तुलसी, सम्पादक :-आचार्य महाप्रज्ञ प्रकाशन :- जैन विश्व भारती लाडनूं (राज.) प्रकाशन तिथि :- वि.सं. २०४६ कार्तिक कृष्णा १३ सन् १९८६ मुद्रक : एस. नारायण एण्ड सन्स (७११७), १८, पहाड़ी धीरज, दिल्ली-६ प्राकृतव्याकरण लेखक : श्री हेमचंद्राचार्य संपादक :- मुनि वज्रसेन विजय प्रकाशिका :- श्री जैन आत्मानंद सभा. खारगेट भावनगर मुद्रक : गौतम आर्ट प्रिन्टर्स ब्यावर (राजस्थान), वि.सं. २०३७ परमात्मप्रकाश (योगसार) संस्कृतवृत्ति : ब्रह्मदेव हिन्दी भाषा टीका :- दौलतराम प्रकाशक:- श्री परमश्रुत प्रभावक मंडल, श्रीमद् राजचन्द्र आश्रम, आगास, व्हाया आणंद, पोस्ट बोरिया-३८८१३० (गुजरात) श्री वीर निर्वाण संवत् २५२६, षष्ठम संस्करण, विक्रम संवत् २०५६ मुद्रक :- बसंत प्रिंटिंग प्रेस, अहमदाबाद प्रवचनसारोद्धार भाग-1 लेखक :- आ. नेमिचंद्रसूरीजी गुजराती अनुवाद :- अमितयश विजयजी संपादक:- पन्यास श्री वज्रसेन वि. टीकाकार :- विजय सिद्धसेनसूरिजी प्रकाशक :- श्रीमति जयाबेन देवसी पोपट मान्दुं , ज्ञानमंदिर,४६/१ महालक्ष्मी सोसायटी, सुजातापासे, शाहीबाग अहमदाबाद-४ वि.सं. २०४६ नूतनवर्ष वि.सं. २५१६ सन् २६-१०-१६६२ मुद्रक :- कांतिलाल डी. शाह भरत प्रिन्टरी, न्यू मार्केट, पांजरा पोल, रिलीफ रोड़, अहमदाबाद-१ भाग-2 वि.सं. २०४६ द्वि.भा.सु.५, वि.नि.सं. २५१६ सन् १६-६-१९६३ रविवार प्रकाशन :- भद्रंकर प्रकाशन, ज्ञान मंदिर शेष पूर्ववत् पंचवस्तु लेखक :- हरिभद्रसूरि प्रकाशिका :- ऋषभदेवजी केशरीमलजी श्वेताम्बर संस्था, रतलाम (मध्यप्रदेश) मुद्रक : शाह फकीरचंद मगनलाल बदामी, घी, जैन विजयानंद 'प्री' प्रेस, कणपीठ बाजार, सूरत वी.सं. २४६३, वि.सं. १६६३, ई.सन् १६३७ पंचाशक प्रकरण लेखक :- हरिभद्रसूरीजी अनुवादक :- डॉ. दीनानाथ शर्मा, पार्श्वनाथ विद्यापीठ, वाराणसी-५, आई.टी.आई. रोड़, करौंदी मुद्रक :- वर्धमान मुद्रणालय, भेलूपुर, वाराणसी-१० संपादक :- प्रो. सागरमलजी जैन प्रथम संस्करण: सन् १९६७ Jain Education Intemational For Private & Personal Use Only For Private & Personal use only www.jainelibrary.org

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