Book Title: Prakrit evam Sanskrit Sahitya me Gunsthan ki Avadharana
Author(s): Darshankalashreeji
Publisher: Rajrajendra Prakashan Trust Mohankheda MP

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Page 535
________________ Jain Education Intemational ५१ अy ५२ ४६ | २६१८ ० ० ५३ ३६ ० ° ५६ ० ० ५८ घुवकर्म बंध | ५ द्वार घुव कर्म ४७ प्रकृति बंध | अधुव कर्म | बंध द्वार | अध्रुव कर्म |७० प्रकृति बंध सर्वधाती कर्म बंध सर्वधाती कर्म प्रकृति बंध देशघातिक कर्मबंध देशघातिक । २५ कर्म प्रकृति बंध द्वार अघाती कर्म|४ बंध द्वार अघाती कर्म ७२ प्रकृति बंध । पुण्य कर्म ४ बंघ द्वार । पुण्य कर्म | ३६ प्रकृति बंध पाप कर्म | बंध द्वार पाप कर्म २ प्रकृति बंध द्वार २४ २३ २३ २१ ० ] For Private & Personal Use Only ५६ m ६० ५८३६४२ ३६ ३६ ३२ m Im ] ६२ MI ३२-३ MI ० ६४ ४४ AMI ३० ३०-२३ | १६-१५ | १४ । ० परिशिष्ठ-१........{479} www.jainelibrary.org

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