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लोगों को ही चुन लेते हो। बस ऊपर के लेबल अलग-अलग होते हैं, लेकिन उनमें जरा भी भेद नहीं होता।
धार्मिक व्यक्ति खतरनाक होता है। उसका 'होना' ही खतरनाक होता है, क्योंकि वह अपने साथ एक नए जगत और एक नई हवा को ले आता है।
तो सिपाहियों ने उस सूफी फकीर और उसके शिष्य को घेर लिया और कहा कि वे सूफी फकीरों की खोज में हैं, और सभी सूफी फकीरों को कैद करना है, क्योंकि यह राजा की आशा है। राजा का कहना है कि सूफी फकीर ऐसी बातें करते हैं जो आम जनता के लिए हितकर नहीं हैं, और वे इस इस तरह की बातें करते हैं जो आम जनता के सुख -चैन के लिए अच्छी नहीं हैं।
उस सूफी फकीर ने कहा, 'तो तुम्हें ऐसा ही करना चाहिए ।
उस सूफी फकीर ने उन सिपाहियों से कहा कि तुम्हें ऐसा ही करना चाहिए।
......तुम्हें अपना फर्ज पूरा करना चाहिए।'
'तो क्या आप लोग सूफी नहीं हैं?' सिपाहियों ने पूछा।
'पहले हमारी जांच -पड़ताल कर लो,' सूफी फकीर ने कहा।
एक आफिसर ने एक सूफी ग्रंथ निकालकर उनके सामने रख दिया और पूछा, 'यह क्या है?' सूफी फकीर ने उस ग्रंथ के मुख –पृष्ठ को देखा और कहा, 'तुम इसे जलाओ, उससे पहले मैं ही तुम्हारे सामने इसे जला देता हूं।' और ऐसा कहकर उसने उस ग्रंथ में आग लगा दी। यह देखकर वे सिपाही संतुष्ट होकर वहां से चले गए।
फकीर के साथी ने उससे पूछा, ' आपके द्वारा इस तरह से ग्रंथ को जला देने का क्या मतलब?' सूफी फकीर बोला, 'मेरे इस कृत्य से हम लोग बच गए। क्योंकि सांसारिक आदमी के सामने हप्तेने का मतलब है कि तुम्हारा आचार – व्यवहार, तुम्हारा तौर -तरीका ढंग, तुम्हारा उठना –बैठना ऐसा हो, जिसकी वह तुमसे आशा रखता है। अगर वह उससे कुछ अलग हो, तो तुम्हारा सच्चा स्वरूप, सच्चा स्वभाव प्रकट हो जाएगा, और जो उसकी समझ के बाहर होता है।'
धार्मिक व्यक्ति के जीवन में अदृश्य रूप से क्रांति होती है -क्योंकि प्रकट होना स्थूल होना है, प्रकट होना अंतिम सीढ़ी पर खड़े होना है। एक सच्चा धार्मिक व्यक्ति, एक संन्यासी स्वयं में ही एक क्रांति होता है और फिर भी अप्रकट होता है। लेकिन फिर भी उसकी अदृश्य ऊर्जा का स्रोत चमत्कार करता
चला जाता।