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जाता है। यदि तुम्हारे पास करने को कुछ नहीं होता है सिवाय चुपचाप और शात बैठने के और चीजों को होने देने के, और तुम्हारी ओर से किसी क्रिया के बिना चीजों को उस ओर बढ़ने देने के जिधर कि वे बढ़ रही होती हैं, तो कब तक और कैसे जीवित रहेगा अहंकार? कोई संभावना नहीं इसकी।
स्वच्छंद और स्वाभाविक होने में, अहंकार संपूर्णतया नीचे पटका जाता है। वह तुरंत तिरोहित हो जाता है। क्योंकि अहंकार को तो चाहिये सतत क्रिया। अहंकार तो ऐसे है जैसे साइकिल चलाना-तुम्हें निरंतर पैडल चलाना होता है। यदि तुम साइकिल का पैडल चलाना बंद कर देते हो, तो यह कुछ फीट तक या गज तक जा सकती है पहले के गति-बल के कारण, लेकिन फिर इसे गिरना ही है। साइकिल और सवार दोनों गिर जायेंगे। साइकिल को चाहिये होती है पैडल की लगातार गति। चाहे तुम बहुत धीरे भी चलाओ पैडल, तुम गिर जाओगे। इसे एक निश्चित निरंतर ऊर्जा का पोषण चाहिये।
अहंकार है बिलकुल साइकिल चलाने की भांति ही-तुम्हें निरंतर इसे पोषित करना होता है? यह चुनौती, वह चुनौती, यह क्रिया, वह क्रिया-कुछ पा कर रहना है! एवरेस्ट की चोटी जीतनी ही है, तुम्हें चांद तक तो पहुंचना ही है-कुछ न कुछ सदा भविष्य में ही। तो तुम्हें चलाने ही हैं पैडल, और तभी अहंकार जीवित रह सकता है। अहंकार अस्तित्व रखता है क्रिया की हलचल में। अक्रिया सहित तो, एकदम नीचे ही गिर पड़ती है साइकिल और सवार भी। ज्यों ही सारी क्रिया तिरोहित होती है, उसके साथ ही अहंकार तिरोहित हो जाता है।
इसीलिए अहंकार को सरल चीजें कठिन जान पड़ती हैं, और कठिन चीजें जान पड़ती हैं सरल। यदि मैं तुमसे कहूं कि मार्ग बहुत-बहुत कठिन है, तो तुरंत तुम तैयार हो जाओगे उस पर चलने को। यदि मैं कहूं कि यह बहुत सीधा-सरल है, यह इतना सरल है कि तुम्हें एक कदम भी बढ़ाने की जरूरत नहीं है, यह इतना सीधा है कि तुम्हें कहीं जाने की जरूरत नहीं है, बस बैठे रहना अपने घर में और वह घटेगा, तो तुम भूल ही जाओगे मेरे बारे में और मैं जो कह रहा हूं उसके बारे में। तुम मुझसे दूर ही चले जाओगे जैसे कि तुमने बिलकुल सुना ही न हो। तुम चले जाओगे किसी के पास जो कह रहा होता है कोई नासमझी की बात और निर्मित कर रहा हो तुम्हारे लिए कठिनाई। इसीलिए दमन का अस्तित्व आ बना था, क्योंकि इस संसार में सर्वाधिक कठिन चीज वही होती है, दमन करना। यह करीब-करीब असंभव होता है, क्योंकि यह कभी सफल नहीं होता, यह सदा असफल ही होता है।
तुम कैसे अपने अस्तित्व के एक हिस्से का दमन कर सकते हो किसी दूसरे हिस्से द्वारा? यह तो ऐसा हुआ जैसे कि तुम्हारे बाएं हाथ को हराने की कोशिश करना-तुम्हारे दाएं हाथ द्वारा विजयी होने की कोशिश करते हुए। तुम दिखावा कर सकते हो। थोड़ी सी क्रिया के बाद तुम दिखावा कर सकते हो कि दाया ऊपर है और बायां दब गया है। पर तुम क्या सोचते हो यह दब गया है या जीत लिया गया