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अंत में श्री सिद्धचक्र पाराधना के कुछ दोहे अर्थ सहित दिये हैं, जिन्हें जीवन में उतारने से जीवन समृद्ध बनेगा और सारी अाराधना के लिए सारभूत से 'एगोहं' आदि संथारा पोरसी की कुछ गाथाएं देकर पुस्तक की समाप्ति की गई हैं। ग्राशा है लोग इसका लाभ उटायेंगे ।
-अमृतलाल मोदी पुनश्च,- पुस्तक का अच्छा सदुपयोग हो इसी लिए कीमत जाग्रत मात्र रखी गई है और उपरोक्त रकमसे अधिक जो अपने पास से लगी है, वह बिक्री से मिलने का अंदाज है।
ॐ क्षमा प्रार्थना पुस्तक में मात्रा बिंदु व रेफ इत्यादि की कुछ भूलें प्रेश दोष के कारण रह गई हैं। अत: क्षमा करें। विशेष भूलें कृपया इस तरह सुधार कर पढ़ें :
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गुण बीयाहाण उपाध्यायों रसायन विषय
अंतिम
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