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धम्मो एअस्स प्रोसह, एगंतविसुद्धो, महापुरिससे विनो, सवहिनकारी, निरइसारो परमाणदहेऊ।
इस मृत्यू के रोग को हटाने का औषध धर्म है। वह एकांत (सर्वथा) निर्मल हो, शास्त्रोक्त परम निवति रूप हो । तीर्थकर चक्रवर्ती आदि महापुरुषों द्वारा से वित है । मैत्री करुणादि सहित होने से स्व पर सर्व का हितकर है और उसका निरतिचार विशुद्ध पालन परम सुख (मोक्ष) दायी है ।
नमो इमस्स धम्मस्स । नमो एअधम्मपगासगाणं । नमो एअधम्मपाल गाणं । नमो एमधम्मपरूवगाणं । नमो एअधम्मपवजगाणं ।
ऐसे उपरोक्त धर्म को नमस्कार करता हूँ। उस धर्म के प्रकाशक अग्हित को नमस्कार करता है । उसे हृदय में उतार कर पालने वाले साधू आदि को मैं नमस्कार करता हूँ। इस धर्म के प्ररूपक उपदेशक प्राचार्यों को नमस्कार तथा इस धर्म को मोक्षदायक, मोक्षका हेतु तथा सत्य धर्म के रूप में स्वीकार करने वाले श्राधकों को भी नमस्कार करता ह।
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