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शिवमस्तु
शिव मस्तु सर्व जगतः परहित निरता भवन्तु भूत गणाः । दोषा: प्रयान्तु नाशं सर्वत्र सुखी भवतु लोकः ।
सारे जगत का कल्याण हो, सभी जोव अन्य जीवों के हितकर कायमें रत रहे । दोषों (सभी जीवों के सभी दोष) का नाश हो और सर्वत्र सर्व जीव सुखी हों।
सर्व जीवों के कल्याण की इच्छा एक भारी गुण हैं । अत: इस इच्छा के साथ त्रिसध्य १२-१२ नवकार गिनें ।
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