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बादर, मनवचन या काया से रागद्वेष या मोह से, इस जन्म में या भवांतर में स्वय किया हो, करवाया हो या अनुमोदन किया हो, वह सत्र पाल मेरे लिए गर्दा करने योग्य हैं, दुष्ट कार्य है, त्याज्य है, ऐसा कल्याण मित्र गुरु भगवत के वचनों से मैंने जाना है, तथा वह सच है ऐसा मुझे श्रद्धा से लगा है, अतः अरिहंत व सिद्ध समक्ष उसकी गर्दी करता हूँ। वह दुष्ट है व त्याज्य है अत: वह सब दुष्कृत मिथ्या हो, मेरा सब दुष्कृत मिथ्या हो, सब दुष्कृत मिथ्या हो ।
ATTA
होउ मे एसा सम्म गरिहा, होउ मे प्रकरणनियमो बहुमयं ममेयंति ॥ इच्छामि अणुसट्ठी अरहंताणं भगवंताणं गरुणं कल्लाणमित्ताणंति ।।
___ मेरी यह दुष्कृत गर्दा सम्यक् भावपूर्वक हो। अब यह दुष्कृत मैं नहीं करू, ऐसा मुझे नियम हो । मुझे यह भाव तथा नियम बहुमानपूर्वक हो। श्री अरिहंत भगवंतों की, और उनके वचनों के प्रचारक कल्याण मित्र गुरुत्रों की हित शिक्षाकी मैं बारबार इच्छा करता हूँ।
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