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लिए श्रावक के देशविरति आदि व्रत जरुरी हैं। अहिंसा सत्य आदि पवित्र भाव होने से नैसर्गिक सुन्दर हैं, सस्कार रूपसे प्रात्मा में रहकर परलोक में साथ आने वाले हैं। हिंसा आदि दूसरों के कष्ट को रोकने वाले तथा स्वात्मा के हितकर होने से परोपकारी हैं । अत: इन धर्मगुणों की सुन्दर भावना से हृदय को भावित करें।
तहा दुरणुचरत्त, भंगे दारुणत्त, महामोहजणगत्त एवं दुल्लहत्त ति।
ये गुण बड़ी जिम्मेदारी वाले . महा कीमती हैं प्रतिज्ञापूर्वक स्वीकार के बाद उनका भग भय कर है । प्रभुको अाज्ञा भग का दोष लगता है। भग से महामोह उत्पन्न होता है। इससे भवांतर में उनकी प्राप्ति दुर्लभ बनती है। गुणोंको स्वीकार करने के बाद दुर्गणों का प्रादर करने से भवांतरं में वे ही सुलभ बनेंगे न ? ___ एवंजहासत्तीए उचिअविहाणेणं, अच्चंत भावसारं पडिवज्जिरजा । तंजहा-थूलग पाणाइवायविरमणं, थूलगमूसावायविरमणं, थूलग
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