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होउमे एएहि संजोगो होउ मे एसासुपत्थणा,होउ मे इत्थ बहुमाणो, होउ मे इप्रो मुक्खबीयंति ।।
ऐसे देवगुरुत्रों का मुझे संयोग हो, मेरी यह प्रार्थना सफल हो, मुझे इस (प्रार्थना) के प्रति बहुमान हो । इससे मेरी आत्मा मोक्षबीजबान् बनो। पत्तेसु एएसु अहं सेवारिहे सिया,प्राणारिहे सिया पडिवत्तिजुत्ते सिया, निरइयारपारगे सिया। __इन देव व गुरु का सपक (निश्रा) प्राप्त होने पर मैं उनकी सेवा के योग्य बन, उनकी आज्ञा पालन के लायक बनू। प्राज्ञापालन में उद्धार है, ऐसी दृढ़ प्रतिपत्तिवाला मैं उनको प्राज्ञा को भक्ति बहुमानपूर्वक स्वीकृत कर निरतिचारपूर्वक उनकी आज्ञाका पालक बनू।
संविग्गो जहासत्तिए सेवेमि सुक्कडं, अणुमोएमि सव्वेसि मरहताणं अणुट्ठाणं,सम्वेसिसिद्धाणं सिद्धभावं, सव्वेसि पायरियाणं पायारं, सव्वेसि उवज्झायाणं सुत्तपयाणं, सव्वेसि साहूणं साहकिरियं
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