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प्रार्थना
जयवीयराय जगगुरु होऊ मम तुह पभावो भयव । भवनिव्वेग्रो मग्गाणूसारिया इटाफल सिद्धि ॥१॥ लोगविरुद्धच्चायो, गुरुजणपूना परत्थकरणंच । सुहगुरुजोगो तव्वयण सेवणा प्राभवमखडा ॥२॥ वारिज्जई जईविनियाणबंधण वीयराय तुह समये । तहवि मम हुज्ज सेवा, भवे भवे तुम्ह चलणाणं ॥३॥ दुक्खक्खनो कम्मक्खो समाहिमरण च बोहिलाभो । सपज्जउ मह श्रे, तुह नाह पणामकरणेणं ॥४॥ सर्व मगलमांगल्य, सर्व कल्याणकारणंम् । प्रधान सर्वधर्माणां, जैन जयति शासनम् ॥५॥
(यह जयवीयराय सूत्र चैत्यवंदन करते वक्त बोला जाता है। प्रभुसे भक्ति के फलस्वरूप जो माँगना चाहिये वह यहाँ कहा है ।)
हे वीतराग, जगतगुरु आपकी जय हो। हे भगवत आपके प्रभावसे मुझे भवनिर्वेद,मार्गानुसारिता, इष्टफल की सिद्धि, लोकविरुद्ध आचरण का त्याम, गुरुजनों की पूजा, परार्थकरण (परोपकार), सद्गुरुका संयोग और उनके वचनोंकी सेवा जीवनभर प्राप्त
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