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भव्यजीवानां समाधीप्सूनां त्रिकालमाराध्यं
श्री चिरंतनाचार्य कृत महामंगलिक समाधि के इच्छुक भव्य जीवों के लिए __त्रिकाल अाराधना योग्य पाप प्रतिघात गुणबीजाधानसूत्रम्
(इस सूत्र को कंठस्थ करके दिनमें तीन बार (सीन संध्या) प्रणिधानपूर्वक गिनना चाहिये । इससे आत्माका सहज मल घटता है और मोक्षप्राप्ति की योग्यता दिन प्रतिदिन अधिकाधिक प्रकट होती जाती है।
इस सूत्रका जैसा नाम है, वैसा ही उसका गुण है। उसके नित्य स्मरण और पठनपाठन से अनेक भवों के सचित पाप नष्ट होते हैं और ज्ञान दर्शन चारित्र आदि गुण प्रकट होने के बीज प्रात्मभूमि में पड़ते हैं, फलतः मोक्ष प्रकट होता है । यहाँ पहले सूत्रके साथ मात्र शब्दार्थं दिया जाता है । ) णमो वीयरागाणं सम्वन्नणं देविंदपूईपाणं जह ट्ठियवत्थुवाइणं तेलुक्कगुरुणं अरुहन्ताणं भगवंताणं
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