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तहा पहीणजरामरणा अवेयकम्मकलंका पण?वाबाहा केवलनाणदंसणा सिद्धिपुरनिवासी निरुवम सुहसंगया सव्वहा कयकिच्चा सिद्धा सरणं ।
तथा जिनका जरामरण सर्वथा नष्ट हो गया है, कर्म क्लेशरहित, सर्वबाधा रहित, केवल ज्ञान दर्शन सहित, सिद्धिपुर निवासी, अनुपम सुख के भोक्ता सर्वथा कृतकृत्य सिद्धों का शरण हो ।२। तहा पसंतगंभीरासया सावज्ज जोगविरया पंचविहायारजाणगा परोवयारनिरया पउमाइनिदंसणा झाणज्झयणसंगया विसुज्झमाणभावा साहू सरणं ।
तथा प्रशांत व गंभीर प्राशय वाले, सर्व पाप व्यापार से निवृत्त, पचविध प्राचार को पालने वाले, परोपकार निरत, पद्यादि उपमा योग्य, ज्ञान ध्यान में लीन, सतत विशुद्ध बनते जाते भाववाले साधु का मुझे शरण हो ।३। तहासुरासुरमणुप्रपूइनो मोहतिमिरंसुमाली रागदोसविसपरममंतो हेऊसयलकल्लाणाणं कम्मवण
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