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मत्स्य प्रदेश की हिन्दी साहित्य को देन
[ सन् १७५०-१६०० ई० ]
अनुसंधेय काल की साहित्यिक प्रवृत्तियों का पालोचनात्मक
एवं वैज्ञानिक विश्लेषण
अध्याय १
पृष्ठभूमि मत्स्य प्रदेश, चार राज्यों से मिल कर बना है -
१. अलवर, २. भरतपुर, ३. धौलपुर तथा
४. करौली । _स्वतंत्रता-प्राप्ति के पश्चात् उपर्युक्त चारों राज्यों को मिला कर एक संयुक्त राज्य 'मत्स्य' के नाम से बना दिया था। कहा जाता है, इन चारों राज्यों का संयुक्त नाम 'मत्स्य' श्री कन्हैयालाल माणिक्यलाल मुंशी के मस्तिष्क की उपज है। अब तो मत्स्य का भी विलीनीकरण हो गया और ये चारों रियासतें राजस्थान का अंग बन चुकी हैं।
मत्स्य-प्रदेश का वर्णन प्राचीन ग्रन्थों में भी आता है और यह स्पष्ट है कि यह जनपद पहले भी था। इसकी स्थिति के विषय में विभिन्न अनुमान हैं, किन्तु कुरुक्षेत्र एवं मत्स्य को पांचाल तथा शूरसेन देश के अंतर्गत मानना चाहिये । मनु के कथनानुसार उत्तर-पश्चिम भारत में कुरुक्षेत्र वा थानेश्वर का निकटवर्ती प्रदेश, पांचाल या कान्यकुब्ज का अंचल, शूरसेन वा मथुरा प्रदेश इन सब जनपदों के समीप ही मत्स्य देश था ।' महाभारत के भीष्म पर्व में तीन मत्स्य देशों का उल्लेख मिलता है -
१. पश्चिम में स्थित मत्स्य देश, २. पूर्व में चेदि (बुंदेलखंड) में तथा
३. दक्षिण में दक्षिण कोसल के निकट । किन्तु मनु द्वारा प्रतिपादित मत अधिक मान्य है जिसमें आदि-मत्स्य का वर्णन
' मत्स्य सरकार द्वारा बनाई गई ऐतिहासिक कमेटी की रिपोर्ट। अपूर्ण तथा अप्रकाशित
खोज पर लिखे कुछ पृष्ठों के आधार पर। (उपलब्धि-स्थान-श्री हरिनारायण किंकर, अलवर)।
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