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मत्स्य प्रदेश की हिन्दी साहित्य को देन
( ४ ) वस्त्रों के भेद | (५) आभूषणों के भेद ।
(६) सोलह श्रृंगार |
(७) कुछ रहस्य प्रभात ही उठना, इष्टदेव का सुमरन, देहचिंता मिटाउना. दांतनि करनी आदि ।
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(iii) चार के जोड़े : आदर के पात्र विद्वान्, हाकिम, वृद्ध, तपस्वी । चार प्रकार के मनुष्य - विरक्त, चोर, संतुष्ट, मूर्ष ।
( ८ ) राजन कूं विचार करने योग-- जमा, जमी, जालिम, जिहान, जिम्मीदार, जमीयत, जमान ।
( 8 ) नवरस | (१०) छंदों के लक्षण |
(११) मासों के नाम ।
(१२) राग-रागनो ।
इस प्रकार इस पुस्तक में ऐसी बहुत सी सामग्री एकत्रित कर दी गई है जिसका जानना सबके लिये उपयोगी हो सकता है किन्तु उस सामग्री में भी बहुत से वृत्तान्त सुनी-सुनाई बातों पर हैं । 'बंगाल के वर्णन' का कुछ अवतरण यहां दिया जा रहा है
मुलक कामरु याही सूबा में है। तहां रूप अरु मंत्र विद्या बहुत है । कोई रूप प्रादमी बराबर होय । सो फल सुन्दर देता है । वांस [ के] घर हैं । और आम की बेलि होती है । 'सब एक जाति है। हिंदू मुसलमान बहनि कू परने हैं। एक माता से नाता है । ...मरद लुगाई स्याह रंग होते हैं । लुगाई कैई भरतार र और गंगा जमुना सरस्वती तीन्यों ही समुद्र में जाइ मिलती हैं। मरद लुगाई नंगे बहुत रहते हैं । लुंगी पहनते हैं । केती स्त्री रूष के पात पहरती हैमृगराज जनावर स्याह रंग है । लाल आप का है । गजगज की पर है । सब जानवर की बानी बोलें ।
इस ग्रंथ में खड़ी बोली के भी अनेक प्रयोग आये हैं, विशेष रूप से क्रियाओं के । इस वृत्तान्त में कही गई बातों की सत्यता पर हर कोई सहज ही अपना मत दे सकता है ।
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वीर-काव्य
मत्स्य प्रान्त
राजाओं द्वारा किये गये युद्ध, आक्रमण तथा अन्य साहसिक कार्यों के अनेक विवरण मिले जिनमें से कुछ उत्कृष्ट पुस्तकें तथा कवित्त-संग्रह
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