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निम्नलिखित हैं
(१) प्रताप राशो [ सो]- जाचीक जीवणकृत ।
(२) सुजान चरित्र - सूदन कृत ।
( ३ )
( ४ ) विजय संग्राम - घुसाल कृत ।
(५) फुटकर कवित्त - सोमनाथ, परसिद्ध, जसराम आदि द्वारा ।
अध्याय ५ नीति, युद्ध, इतिहास संबंधी
यमन विध्वंस प्रकास - दत्त कृत ।
(१) प्रताप राशी [सो)
प्राप्त प्रति अलवर नरेश विनय सिंहजी के शासन काल में लिपिबद्ध कराई गई थी। इसमें उनके पूर्वज तथा प्रलवर राज्य के संस्थापक प्रतापसिंहजी के साहसिक कार्यों और युद्धों का सुन्दर एवं प्रामाणिक वन है । इस पुस्तक की पत्र संख्या ४४ | | है और इसमें 8 प्रभाव हैं ।
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प्रथम प्रभाव - वंश वर्णन
२
३
४
- ग्रामेर पहुंचना मावड़ाजुध वर्णन
- युद्ध वर्णन
- नजभखां का वर्णन
५
६
७, ८,
यह पुस्तक पौष कृष्णा ६ सं० १९०४ में लिपिबद्ध हुई । पुस्तक के अन्त में लिखा है
' इति प्रताप रासो जाचोक जीवण कृत नमो प्रभाव पूर्णम् मोति फुल वदी ६ संमत् १९०४ ।'
इस पुस्तक के अन्त में 'बषतैम' ( बख्तावरसिंहजी ) के राजतिलक का वर्णन है । बख्तावरसिंहजी का शासन-काल संवत् १८४७ से १८७१ वि० है । पुस्तक निर्माण का समय इस प्रकार है
हृयत ।
अठार संतीस साष संवत् सो पोष मास बदि तीज बार बिसपत गुरु कहियत ॥
प्रतिलिपि संवत् १९०४ में की गई थी । पुस्तक की समाप्ति 'राजतिलक बषतेस' के साथ होती है—
वषतेस रावराजा नरेस । तप बड़ो राज राजंत देस ||
नर रू पाटपति कुल निधान । किरवांन दान छत्री प्रवारण ||
इसमें बख्तावरसिंहजी के राज्य का वर्णन वर्तमानकाल में किया गया है
- सेना का वर्णन
- युद्ध वर्णन ।
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