Book Title: Matsyapradesh ki Hindi Sahitya ko Den
Author(s): Motilal Gupt
Publisher: Rajasthan Prachyavidya Pratishthan Jodhpur

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Page 292
________________ परिशिष्ट १ कवि-नामानुक्रमणिका रचनामों प्रादि के उल्लेख सहित १. अकबर - १७२। २. अक्षराम - १९८, २०२, २०५, २४८ । भरतपुर के महाराज सूरजमल के आश्रि । १. विक्रमविलास, सं० १८१२, सिंहासनबत्तीसी को कथा। २. गंगामहात्म्य, सं० १८३२, २० प्रकरणों युक्त । ३. स्वरोदय, शिवतंत्रोक्त ज्ञान, श्लोकों के अनुवाद सहित । ३. अजुध्याप्रसाद 'काइथ' - १५१ । भरतपुर-निवासी संवत् १८५० के लगभग। ___रसिकमाला, सं० १८७७, स्वामी हरिवंशजी की परचई, दोहाचौपाई छंदों में है। ४. अमृतकौर, रानी- १०५, २६४ । ५. अलीबख्श - ११, १६, १३५, १६८, २६४ । मंडावर के 'प्रिंस' या राव : रैगड़ मुसलमानों में से । हिन्दी-उर्दू दोनों में कविता लिखते थे। कृष्णलीला : भगवान कृष्ण की अनेक लीलाओं का सरस वर्णन । ६. उदराम - ७, १२६, १५४, १५७, १८८, २१०, २६६, २६८ ! समय १८३४ से १८६२ । २४ ग्रन्थों के रचयिता । १. हनुमान नाटक, २. अहिरावण-वध-कथा, ३. रामकरुण-नाटक, ४. सुजानसंवत्, ५. गिरिवरविलास, प्रादि । ७. उम्लेदराम बारहठ - २० । ८. उमादत्त 'दत्त' - २४, १५३, १७८, १६१ । १. दत्त के कवित्त, विभिन्न विषयों पर लिखित । २. यमन-विध्वंस प्रकास (सं० १९२४) राजपूतों से जागीरें छीनने का प्रसंग । ६. करमाबाई - २३ । १०. कलानिधि -३५, ३८, ५०, ५७, ५६, ६०, २२६, २४६, २४८, २५५, २५६, २६५, २७० । अनेक ग्रन्थों के रचयिता और सोमनाथ के समकालीन तथा उनके सहयोगी । वैर के राजा प्रतापसिंह के आश्रित । Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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