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मत्स्य प्रदेश की हिन्दी-साहित्य को देन १. समाविलास : (१८९६) राजा के विनोदों का वर्णन। २. अक्कल नामा : नीति की कहानियाँ तथा सामान्य ज्ञान । ३५. जुगल - १७, ३५, ३८, ७४, ८१, ८२, २७० । रीतिकार ।
रस कल्लोल : प्रथम तरंग मात्र प्राप्त । भरत के मत पर रस का निरूपण। ३६. जोधराज - २३ । नीमराणा के श्री चन्द्रभान हेतु लिखित । हमीर-रासो। ३७. दयादास - १६२। ३८. दयाबाई - १२५, १६०, १६२, १६८ । महात्मा चरनदासजी की शिष्या ।
१. दया बोध (संवत् १८१८) : दयादासि नाम भी मिलता है। २. विनयमालिका : प्रकाशित । ३६. देविया - १८, १७४, २४८, २५७, २६२, २६४ । ये रस-प्रानन्दजी के खवास थे।
हितोपदेश का अनुवाद । संवत् १८६१, पंचम कथा तक। कुछ बिखरी कविता भी प्राप्त हुई।
४०. देवीदास - ६, १८, ६६, ७, १७२, २२६ । करौली के रतनपाल भीया के आश्रित । ये आगरा निवासी थे किन्तु प्राय: करौली में रहते थे ।
१. प्रेम-रतनागर : प्रेम को उत्कृष्ट व्याख्या। २. राजनीति : हितोपदेश पर प्राधारित।
४१. धीरज - १११। ४२. नन्द - ११४ । संस्कृत-हिन्दी के विद्वान् ।
नाम मंजरी : पर्यायवाची शब्दों का अमरकोश के समान संस्कृत गभित ग्रंथ। ४३. नलसिंह - २२ । विजयपाल रासो के कर्ता । ४४. नवलसिंह - ११४ । रास पंच्चाध्यायी के कर्ता। ४५. नवीन - ६१, ६२। ये मालवा के निवासी थे किन्तु भरतपुर आते-जाते रहते थे।
१. नेहनिदान : प्रेम का सुन्दर विवरण । २. प्रबोधरससुधाकर, ३. रस तरंग प्रादि ग्रंथ। ४६. नोलकंठ - २०६ । ४७. परसिद्ध कवि - २६, १७८, १६५ ।
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