Book Title: Matsyapradesh ki Hindi Sahitya ko Den
Author(s): Motilal Gupt
Publisher: Rajasthan Prachyavidya Pratishthan Jodhpur

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Page 293
________________ मत्स्य प्रदेश की हिन्दी साहित्य को देन १. अलंकार कलानिधि, अलंकार का ग्रंथ भोगीलाल को प्रज्ञा से रचित । २. उपनिषद्सार, उपनिषद्-ग्रंथों पर गद्य की पुस्तक । ३. दुर्गामाहात्म्य, दुर्गासप्तशती का अनुवाद । ४. रामगीतम्, गीत-गोविन्द-शैली पर लिखित ग्रन्थ । ११. कासीराम - ४२ । १२. किशोर - ४२ । १३. किशोरी रानी ४। २७४ १४. कृष्ण कवि ३८ । मधुपुरी (मथुरा) के निवासी और सूरजमल के ग्राश्रित । १. बिहारी सतसई की टीका : 'मल्ल' के हेतु लिखित । मल्ल' से तात्पर्य महाराजा सूरजमल से है । २. गोविन्दविलास : रीतिकाव्य का ग्रन्थ । १५. गंगेस - २०३ । १६. गणेस - २०६, २०६ । बलवंतकालीन कवि । - विवाहविनोद, संवत् १८८६, डीग में कटारे वाले महलों में प्रायोजित श्री बलसिंहजी के विवाह का वर्णन । १७. गुलाम मोहम्मद - ११,१२५, १६७, २६६ । रणजीतकालीन प्रेमगाथाकार । प्रेमरसाल : सूफी कवियों को प्रेम गाथा - पद्धति पर लिखा भक्ति और प्रेममिश्रित ग्रंथ । १८. गोकुलचन्द्र दीक्षित - ४, ६१ । ब्रजेन्द्रवंशभास्कर | १६. गोपाल कवि - ६६ ॥ २०. गोपालसिंह - १८, २६४ । संग्रहकर्त्ता । २१. गोवर्द्धन - २४७, २४६, २४८, २४६, २६२ । महाभारत का अनुवादकर्ता, अलवर निवासी । कर्णपर्व : भाषा में - भाषा पर अलवरी प्रभाव है। अनुवाद, दोहा-छप्पय-पद्धति में। स्थान-स्थान पर गद्य का प्रयोग । २२. गोबिन्द - ३८, २७० । जयपुर निवासी । गोबिन्दानंदघन, संवत् १८५८ का लिखा सुन्दर रीतिग्रंथ । अलवर तथा भरतपुर में अनेक प्रतियां उपलब्ध हैं । २३. घनस्याम - ४२ । २४. घनानंद कवीश - २३१, २४३, २४५ । Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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