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परिशिष्ट १
२७६
७४. राम कवि - १७, ३५, ३८, ७४, ११६, १७४, २५६, २५७, २७० । राज्याश्रित ।
१. हितामृत लतिका : हितोपदेश पर आधारित पुस्तक । २. अलंकार मंजरी: अलंकार पर लिखित पुस्तक। ३ छंदसार : ६ सर्ग ऐतिहासिक सामग्रीयुक्त ।
४. विरह पचासी: एक खरें के रूप में। ७५ रामजन - १२५ । निर्गुण काव्यधारा के अन्तर्गत ।
गोपीचन्दजी को वैराग-बोध : कृति में 'रामजन' और 'हरिजन' शब्द विचारणीय है। ७६. रामनाथ बारहठ - १८ । ७७. रामनारायण - ६, १३३, १४३, १४४ । जसवंत कालोन, गुसांई।।
१. राधा मंगल : सवत् १६५३, यह ११ सर्ग का प्रबन्ध काव्य है। २. पार्वती मंगल : किसी पुजारी के पठनार्थ लिखी पुस्तक । ७८ रामलाल - २०६ । विनयसिंह के आश्रित ।
विवाह विनोद : विनसिंहजी की लड़की के विवाह का वर्णन । ७६. रामप्रसाद शर्मा - १५१ । अलवर के सेनापति पदमसिंह के आश्रित ।
गंगा भक्त तरगावलि : यपराज प्रादि की शिकायत के रूप में गंगा को प्रार्थना । ८०. रूपराम - १७ । ज्योतिष ग्रन्थ । ८१. ललिताप्रसाद - १८ । रामशरण ग्रन्थ । ८२. लक्ष्मीनारायण - १७ । गंगालहरी । ८३. लाल- ४२। ८४. लालदास - १५, २२, २४, १२४, १६६, १६८,२६३ । लालदास की वाणी। ८५. विनयसिंह -८, ३७, २३३, २६४, २६७ । अलवर नरेश ।
भाषा भूषण की टीका : ब्रजभाषा गद्य में की गई उत्कृष्ट टीका | ८६. वीरभद्र - ११२, १३६, १३७ । ये गोवर्धन के पंडे थे।
१. फागु लीला : संवत् १८५७ अमृतकौरजी के पठनार्थ । २. व्रजविलास : संवत् १९११ दोहा, चौपाई, छंद में व्रजवासीदास के अनुकरण पर । ८७. वैद्यनाथ - १७, २०३ । कविवर सोमनाथ के वंशज ।
विक्रम चरित्र : संवत् १८८४, विक्रम द्वारा ५ दंड जीतने की कथा । ८८. वजचंद -७४ । शृगार तिलक । ८६. व्रजदूलह - १८ । पद-संग्रह । ६०. व्रजेश - १८, १३३ । बलवंत ग्राश्रित ।
रामोत्सव : इसमें दशहरे का वर्णन भी है। जन्म-उत्सव तथा बधाई आदि भी हैं ।
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