________________
१२०
श्रृंगार- काव्य
२. राम, कृष्ण आदि की लीलाओंों का भक्ति-भाव से प्रेरित होकर वर्णन करना । कुछ ऐसे प्रसंग भी आ गये हैं जहाँ शृंगार का वर्णन करना पड़ा है किन्तु इन प्रसंगों में भी शृंगार का रूप बहुत ही दबा हुआ है और पूज्य भाव को ठेस नहीं लगने पाई है । भ्रमर गीत में वरिंगत वियोग- शृंगार को इसी के अंतर्गत लिया जा सकता है और साथ ही रास पंचाध्यायी का संयोग शृंगार भी ।
श्रध्याय ३
--
३. 'होरी' आदि उत्सवों के अवसर पर गाने योग्य प्रसंग । भारतवर्ष में हो एक प्रद्भुत त्यौहार है जब श्रृंगार का कुछ वर्णन और साथ ही कुछ प्रदर्शन आवश्यक सा हो जाता है । ब्रज की होली' वैसे भी प्रसिद्ध है : मन्दिर तथा महल सभी जगह होली चलती है ।
Jain Education International
" होली देखने के इच्छुक बरसाने पधारें और वहां नंदगांव तथा बरसाने की होली का आनंद लें। उसकी याद आपको जीवन भर बनी रहेगी । ब्रज की स्त्रियों का वह प्रराक्रम देख कर आप चकित रह जायेंगे !
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org