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अध्यक्ष की कलम से...
विश्व वंद्य 1003 भगवान महावीर की 2606वीं तब से अनवरत रूप से इसका प्रकाशन हो रहा है। पावन जयन्ती चैत्र शुक्ला तेरस दिनांक 31-03-2007 स्मारिका में प्रकाशित रचनाएँ बहुत ही उच्च श्रेणी की को आरही है। आज भगवान महावीर के पावन सिद्धान्तों होती हैं। स्मारिका में तीर्थंकर महावीर और उनकी देशना, की पहले से अधिक आवश्यकता है। इनको जीवन में दर्शन एवं अध्यात्म, इतिहास और संस्कृति, भक्ति एवं उतारने से विश्व के प्राणीमात्र का कल्याण हो सकता है। शोध पर सारगर्भित रचनाएँ प्रकाशित होती हैं।
राजस्थान जैन सभा अपनी स्थापना वर्ष से ही इस वर्ष भी स्मारिका के प्रधान सम्पादक का समग्र जैन समाज की ओर से महावीर जयन्ती समारोह गुरुतर भार सभा द्वारा प्रसिद्ध विद्वान डॉ. प्रेमचन्दजी विभिन्न कार्यक्रमों के साथ आयोजित करती आ रही रांवका को सौंपा है। इन्होंने इसका बहुत ही विद्वता है। इन कार्यक्रमों में समाज का पूर्ण सहयोग प्राप्त होता पूर्वक सम्पादन किया हैं। उनके प्रति अपनी ओर से है। इस वर्ष भी महावीर जयन्ती के चार दिवसीय तथा सभा की ओर से कृतज्ञता प्रकट करता हूँ। आपने कार्यक्रम रखे गये हैं, जिसमें भक्ति संध्या, कवि सम्मलेन, अपना अमूल्य समय प्रदान कर, विद्वान लेखकों से प्रभात फेरी, शोभायात्रा, धर्मसभा व सांस्कृतिक संपर्क कर रचनाएँ प्राप्त की। उनका सम्पादन कर कार्यक्रम आयोजित होंगे। महावीर जयन्ती के अवसर स्मारिका में प्रकाशित किया। इनके सहयोगी सम्पादक पर महावीर जयन्ती स्मारिका भी प्रकाशित की जावेगी। मण्डल के सदस्य सर्वश्री डॉ. जे. डी. जैन एवं इसका विमोचन भी धर्म सभा में होगा। महावीर जयन्ती श्री महेशचन्दजी चांदवाड़ द्वारा स्मारिका के प्रकाशन के दिन ही विशाल रक्तदान शिविर का भी आयोजन में प्रदत्त सहयोग के लिए मैं मेरी ओर से तथा सभा की किया जावेगा।
ओर से आभार प्रकट करता हूँ। इस वर्ष भी धर्मसभा में जयपुर स्थित जैन श्रीमान् ज्ञानचन्दजी बिल्टीवाला ने वर्षों तक आचार्य, साधु, संत पधारेंगे तथा जन साधारण को स्मारिका के प्रधान सम्पादक का महत्वपूर्ण दायित्व अपने प्रवचनों के माध्यम से भगवान महावीर के उपदेशों निभाया। वे अब स्मारिका के प्रमुख परामर्शदाता हैं। व शिक्षा के बारे में बतायेंगे।
उनका स्मारिका के लिए हमेशा महत्वपूर्ण परामर्श राजस्थान जैन सभा गत 43 वर्षों से भगवान मिलता रहा है। मैं उनके प्रति कृतज्ञता प्रकट करता हूँ। महावीर की जयन्ती के अवसर पर महावीर जयन्ती स्मारिका के प्रकाशन में विज्ञापनों के माध्यम स्मारिका का प्रकाशन करती आ रही है। इस वर्ष इसका से अर्थ संग्रह करना, विज्ञापन दाताओं से सम्पर्क, 44वाँ अंक प्रकाशित हो रहा है। सभा द्वारा स्मारिका का विज्ञापन प्राप्त करना, उनको छपवाना, प्रेस का चयन, प्रकाशन देश के प्रसिद्ध विद्वान श्रद्धेय चैनसुखदासजी स्मारिका के वितरण की व्यवस्था, विज्ञापन दाताओं न्यायतीर्थ जयपर की प्रेरणा से प्रारम्भ किया गया था। को भिजवाना, राशि प्राप्त करना आदि महत्वपूर्ण कार्य
महावीर जयन्ती स्मारिका-2007
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