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एण्टीस्टरिलिटी आदि का कार्य सफलता के साथ करते शरीर को रोग मुक्त करते हैं। विभिन्न प्रयोगों एवं खोजों हैं तथा अपना घातक दुष्प्रभाव भी नहीं डालते हैं। से यह सिद्ध हो गया है कि अंकुरित अनाज में जैव
विश्वविख्यात जैविक आहार विशेषज्ञ डा. एन रसायन किण्वन एवं, खमीरीकरण प्रक्रिया द्वारा उच्चतम विग्मोर ने एक अदभुत प्रयोग का उल्लेख किया है। किस्म का प्रोटीन, विटामिन बी. बी. बी. बी. विटामिन चूहों के दो समहों में से एक समूह को माँस, मदिरा सी आदि एन्जाइम पैदा हो जाते हैं जो मांसाहार में नहीं आदि हिंसक उत्तेजक खाद्य पदार्थ दिए गए तथा दसरे होते। अंकुरित अनाजों, फलों व सब्जियों से एमिनो समह को फलों का रस. घास एवं अंकरित अन्न आदि एसिड की पूर्ति भी आसानी से हो जाती है। किण्व जैविक आहार दिया गया। अध्ययन से पाया गया कि अहारों में स्टार्च, कार्बोज, प्रोटीन, लोहा, कैल्सियम उत्तेजक खाद्य खाने वाले चहों में हिंसात्मक प्रवत्ति तथा विटामिन की गुणवत्ता बढ़ जाने से उनकी अवचूषण आलेले कामयाबीन निकासी पाई गई। क्षमता भी बढ़ जाती है। दही में स्थित उपयोगी असंख्य ___इसके विपरीत जैविक आहार खाने वाले चूहों
सूक्षम जीवाणु आँतों के सामान्य स्वास्थ्य के लिए में अद्भुत सौहार्द भाव था। अत: हम कह सकते हैं
विटामिन बी आदि पोषक तत्त्व संश्लेषित करते हैं जो कि सही रूप से स्वास्थ्य की उपलब्धि हेतु संतुलित,
- मासांहार में किसी भी कीमत पर नहीं मिलते। नियमित, जैविक शाकाहार एवं पोषण का महत्व है।
कार्बनिक जैव आहार के प्रयोग से व्यक्ति के हमारे शरीर के स्वर निर्माण व विकास के दुगुण ईष्यो, द्वेष, घृणा, हिसा लोभ, क्रोध, मोह इत्यादि लिए ८० प्रतिशत क्षारीय व २० प्रतिशत अम्लीय
का रूपान्तरण हो जाता है। व्यक्ति के अन्दर दूसरों के आहार की आवश्यकता होती है। इन तत्त्वों के समानुपात
तथा अपने प्रति सहानुभूति, उदारता, प्रेम, स्नेह, करुणा, से जैव विद्युत चुम्बकीय जीवनी शक्ति का निर्माण व
मैत्री, मुदिता, संयम, सेवा, सहनशीलता, सहकारिता, संवर्धन होता है जो कि अहिंसक शाकाहार द्वारा ही
निर्भयता, प्रसन्नता, स्वच्छता आदि उदात्त विचारों संभव है।
तथा सद्गुणों का विकास होता है। मानवीय सौहार्द के
भाव का सम्वर्द्धन होता है, जो कि अहिंसक आहार जापानी आयुर्विद ताकेशी हिरायामा १लाख टा
लाख द्वारा ही संभव है। २८ हजार लोगों पर १६ वर्ष तक निरंतर खोज के बाद इस निष्कर्ष पर पहुँचे कि पीले तथा हरे रंग
मनुष्य के शरीर की संरचना भी शाकाहारी ही (पालक,गाजर, पपीता आदि) क्षारीय जैविक आहारों
है। मनुष्य के दाँत, जबडे, पेट की आँते, पाचन व लाल में एण्टी ऑक्सीडेन्ट, बीटा कैराटिन एवं टॉकेफेरॉल,
ग्रंथियाँ सभी अधिकतर गुरील्ला जाति के वानरों से ओमेगा-३, पॉली अनसेचुरेटेड वसा तथा रफेज की
मिलती है जो केवल फल खाकर असाधारण शक्ति प्राप्त अधिकता होने से व्यक्ति दीर्घजीवी होता है तथा कैंसर,
करते हैं। मनुष्य के आगे के दाँतों की बनावट भी फल अल्सर, हृदय रोग जैसे घातक रोगों से मुक्त रहता है,
___ काटने के उपयुक्त ही है। मानसिक अवसाद, तनाव से दूर रहता है, जो इन रोगों हिंसक जीवों के दाँत लंबे, नुकीले और दूरकी जड है। इसी प्रकार ब्रिटेन के नाटिंधम यनिवर्सिटी दूर होते हैं जिनसे वे जीवों का मांस फाड़कर निगल के शोधकर्ताओं ने २६३३ वयस्कों पर तथा साउथ जाते हैं । उनका आमाशय छोटा और गोल होता है और टैम्पटन यनिवार्सिटी के वैज्ञानिकों ने २३१ लोगों पर आँते उनके शरीर से ३ से ७ गुना अधिक लंबी होती शोध अध्ययन किया कि सेव, टमाटर, संतरा, गाजर, हैं। अतः यह सिद्ध हुआ कि मनुष्य फल भक्षी जीव नाशपती आदि आहारों में पाए जाने वाले एंटी ऑक्सीडेंट है और उसका स्वाभाविक भोजन मात्र फल है। लाइकोपिन, बीटा कैरोटिन, कैथिन्स शरीर में पाए जोने किसी जीव के स्वाभाविक भोजन को जाँचने वाले फ्री रेडिकल्स व ऑक्सीडेंटों का सफाया करके की दूसरी कसौटी है खाद्य वस्तु विशेष को उसकी
महावीर जयन्ती स्मारिका 2007-4/38
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