Book Title: Mahavira Jayanti Smarika 2007
Author(s): Bhanvarlal Polyaka
Publisher: Rajasthan Jain Sabha Jaipur

View full book text
Previous | Next

Page 295
________________ स्वाभाविक दशा में खाने को उस जीव विशेष का जी चाहना । उसकी ओर आकर्षित होना । जैसे- शेर का बच्चा शिकार ढूँढता है, मृगशावक दूब ढूँढता है । लोमड़ी का बच्चा चूहे आदि का शिकार करता है। और आज के इस कृत्रिमता के जमाने में भी एक फल से लदे वृक्ष को देखकर किस मनुष्य के मुँह में पानी नहीं भर आता? यह भ्रम है कि मांस उर्जा एवं शक्ति का स्रोत है । शक्ति की माप अश्व-शक्ति है और अश्व शाकाहारी है । शक्तिशाली जानवर हाथी, गैंडा, घोडा इत्यादि शाकाहारी होते हैं। विश्व के प्रख्यात दार्शनिक एवं वैज्ञानिक भी प्रायः शाकाहारी हुए हैं। आइन्सटीन शाकाहार के प्रबल समर्थक थे । जार्ज बनार्ड शॉ कहा करते थे कि पेट कब्रिस्तान नहीं है कि वहाँ मुर्दे (मांस) को दफनाया जाय । हिंसक आहार के घातक प्रभाव को देखते हुए पूरे विश्व में शाकाहार आन्दोलन प्रभावी बन गया है। जनसाधारण के आकर्षण के केन्द्र राजकुमारी डायना, प्रिंस चार्ल्स, माइकल जैक्सन तथा अभिनेत्री सारा माइल्स व हेल्लीमिल्स जैसे लोग मांसाहार छोड़कर शाकाहार अपना चुके हैं। इसका बहुत बड़ा कारण स्वास्थ्य व सौन्दर्य है। मांसाहार के सम्बन्ध में बड़ी ही भ्रान्त धारणा है कि मांसाहार का प्रोटीन श्रेष्ठ किस्म का है और इस श्रेष्ठ किस्म के प्रोटीन के अभाव में व्यक्ति का शारीरिक विकास व मानसिक विकास अवरुद्ध हो जाता है। अनेक मूर्धन्य वैज्ञानिकों, साहित्यकारों व दार्शनिकों के जीवन का अध्ययन करने के बाद ज्ञात हुआ है कि वे जीवनपर्यन्त शाकाहारी थे। भगवान महावीर जिन्होंने अहिंसा को परम धर्म माना है, के विषय में कहा जाता है कि उनके जैसा सुन्दर एवं स्वस्थ शरीर एवं मन कभी हुआ ही नहीं । उनके चित्र से भी ऐसा ही प्रतीत होता है। भगवान युद्ध, पूज्य बापू, जार्ज बर्नाड शॉ, महर्षि रमन, अरविन्द, रजनीश, महेश योगी, कबीर, आचार्य तुलसी, तुलसीदास, महात्मा ईसा, स्वामी रामतीर्थ, वैज्ञानिकों में डॉ. हेनरी, सी. शेरमन, जैक Jain Education International सी. हूमंड, सर हेनरी रामसन, डॉ. अल्बर्ट श्विबजर, डॉ. तादाने, डॉ. कार्ल ऐंडर्स, डॉ. सी. बी. रमण, एम. विश्वेश्वरैया आदि हजारों नाम हैं। जिन्होंने अपनेअपने क्षेत्र में विश्व को दिशा-निर्देश दिया और वे सभी शाकाहारी थे। वर्तमान राष्ट्रपति अब्दुल कलाम तो पूर्णत: शाकाहारी हैं। महान वैज्ञानिक डॉ. अल्बर्ट आइन्सटीन ने एक बार बड़े दु:ख के साथ कहा था " यद्यपि बाह्य परिस्थितियों ने मुझे शाकाहारी होने के पथ पर कुछ रोड़े अटका रखे हैं तो भी मैं शाकाहार का पूर्ण समर्थक हूँ..... मानव मनोभावों को शाकाहार भौतिक रूप से प्रभावित करता है...... आनेवाली मानव जाति के भविष्य में शाकाहार महत्त्वपूर्ण भूमिका अदा करेगा । " मांसाहारी फास्ट फूड में स्थित सोडियम नाइट्रेट कैंसर उत्पन्न करता है। विश्व के विभिन्न देशों में किये गये वैज्ञानिक प्रयोगों से यह सिद्ध हो गया है कि प्रायः फास्टफूड में फाइबर्स, प्राकृतिक सेलुलोस, डेक्ट्रिन्स, पैक्ट्रिन्स आदि तन्तुमय आहार तत्त्वों की कमी होती है, जिससे अपेंडिसाइटिस, पित्ताशय की पथरी, पाइल्स, अल्सर, कैंसर, कोलेस्टॉल वृद्धि, कोरोनरी आरटरी डिजिस, आँतों का कैंसर, खून की विषाक्तता, मोटापा, मधुमेह, चर्मरोग, रक्त के थक्के बनना तथा पाचन सम्बन्धी अनेक रोग होने की सम्भावना बढ़ जाती है। हमारा शरीर एक जैव रासायनिक कारखाना है, अतः इसका ईंधन भी जैव रासायनिक ही होना चाहिए। यही विज्ञान एवं प्रकृति सम्मत है। कार्बनिक जैव आहार (शाकाहार) जीवन्त शरीर का सर्वश्रेष्ठ ईंधन है । मन का आधार है, मस्तिष्क की खाद है। अत: शाकाहार ही आरोग्य की निशानी है, जीवन का शृंगार है। शाकाहार ही हमें विश्व बन्धुत्व की ओर प्रेरित करता है। यदि हम चाहते हैं - " सर्वे भवन्तु सुखिनः सर्वे सन्तु निरामयाः । सर्वे भद्राणि पश्यन्तु मा कश्चिद् दुखभागभवेत् । ” तो हमें अहिंसक शाकाहार को अपनाना ही होगा । → प्राकृतिक चिकित्सालय, बापूनगर, जयपुर महावीर जयन्ती स्मारिका 2007-4/39 For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

Loading...

Page Navigation
1 ... 293 294 295 296 297 298 299 300 301 302 303 304 305 306 307 308 309 310 311 312