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तृतीय खण्ड: भक्ति और साहित्य-साधना
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1. भक्ति में मुक्ति का अंकुर
आचार्य श्री विद्यानंदजी मुनिराज 2. साधु समाधि और सुधा साधन एवं आचार्य स्तुति
आचार्य श्री विद्यासागरजी भक्ति का फल
पण्डित चैनसुखदासजी न्यायतीर्थ जिनेन्द्र दर्शन (भक्ति)
डॉ. भँवरदेवी पाटनी बीसवीं सदी के शलाका महापुरुष आ. श्री शान्तिसागरजी महाराज और दिगम्बरत्व
प्रो. (डॉ.) राजाराम जैन आचार्य श्री शान्तिसागरजी का चरम मांगलिक प्रवचन
डॉ. सुदीप जैन क्षुल्लक श्री जिनेन्द्र वर्णी
एक सिमटा-सा विराट व्यक्तित्व प्रो. (डॉ.) सुदर्शन लाल जैन 3. अपनेभीतर झाँको
धर्मचन्द जैन, सूरत 2. राजस्थानी जैन सन्तों की साहित्य-साधना
डॉ. कस्तूरचन्द कासलीवाल 10. मानवीय मूल्यों के सजग पहरी : जैनपुराण
पण्डित रतनचन्द भारिल्ल 11. जैन एवं जैनेतर साहित्य में सीता निर्वासन
डॉ. बीना अग्रवाल 12. आचार्य श्री ज्ञानसागरजी का सारस्वत योगदान
डॉ. शिवसागर त्रिपाठी 3. समाधिमरण/संथारा अहिंसा है न कि... आ. श्री कनकनन्दीजी 4. स्वधर्म रक्षा का प्रयत्न : सल्लेखना प्रो. रतनचन्द जैन 5. समाधिमरण : तुलना एवं समीक्षा प्रो. डॉ. सागरमल जैन
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