Book Title: Mahavira Jayanti Smarika 2007
Author(s): Bhanvarlal Polyaka
Publisher: Rajasthan Jain Sabha Jaipur

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Page 289
________________ फौजबख्शी रहे। ९. ताराचन्द बिलाला पुत्र केशवदास - सं. १७७३ दीवान विजैराम तोतका-ये सवाई जयसिंह से १७९० तक। के समय में दीवान थे। जयसिंहजी की बहिन का विवाह १०. रावकृपाराम पांड्या पुत्र जगराम – सं. १७८० मुगल बादशाह अपने साथ करना चाहता था। राजा से १७९० तक। द्वारा इन्कार करना बड़ा मुश्किल था। पर जब राजा ११. फतहराम पांड्या पुत्र राव जगराम - जयपुर में नहीं थे, दीवान विजैराम ने बंदी के हाडा सं. १७९० से १८१३ तक। बुधसिंहजी के साथ उनका विवाह कर दिया। मुगल १२. भगतराम पांड्या पुत्र राव जगराम - सं. १७९२ बादशाह नाराज हुए पर रणबांकुरे बूंदी के हाडों और जयपुर से बैर मोल लेना उचित न समझा। मन मसोस १३. विजयराम छाबड़ा पुत्र तोलूराम - कर रह गये। सवाई जयसिंहजी दीवान विजैराम से बड़े १४. नैनसुख तेरापंथी - सं. १७६९ से १७७०। खुश हुए और ताम्र पत्र देते हुए उसमें लिखा कि १५. श्रीचन्द छाबड़ा – सं. १७७० से १७७१ । “शाबाश ३, तुमने कछावा वंश का धर्म रखा, महान १६. कन्हीराम बैद पुत्र खेमकरण – सं. १८०७ से कार्य किया। हमें जो रोटी मिलेगी, उसमें आधी तुम्हें १८२०। बांटकर खायेंगे और हमारे वंशज इस वायदे से नहीं १७. केसरीसिंह कासलीवाल - सं. १८०८ से फिरेंगे।” इन्होंने और भी कई महत्वपूर्ण कार्य किये। १८१७ । यहाँ जानकारी की दृष्टि से जयपुर में हुए जैन १० १८. रतनचन्द शाह – सं. १८२३ से १८२५ । दीवानों को संक्षिप्त तालिका प्रस्तुत की जा रही है - ' १९. आतमराम खिन्दूका पुत्र ऋषभदास - सं. १८१४ से १८३५। १. मोहनदास - मिर्जा जयसिंह के महामंत्री, स. २०. मौजीराम छाबड़ा - १७१४ के शिलालेख के आधार पर। २१. बालचन्द छाबड़ा पुत्र मौजीराम – सं. १८१८ २. कल्याणदास पुत्र मोहनदास-सं. १७७० में मौजूद से १८२९। २२. नैनसुख खिन्दूका पुत्र मुकन्ददास – सं. १८२१ ३. विमलदास छाबड़ा - आमेरपति विशनसिंह (सं. से १८२६। १७४६-५६) के दीवान थे। २३. जयचन्द शाह पुत्र रतनचन्द – सं. १८२४ से ४. रामचन्द्र छाबड़ा - सं. १७४७ से १७७६ तक १८३५। दीवान रहे। २४. मोतीराम संघी गोधा पुत्र नन्दलाल - सं. १८२५ ५. फतहचन्द छाबड़ा - सं. १७६५ से १७७१ तक से १८३४। दीवान रहे। २५. अमरचन्द सोगानी पुत्र भामाराव - सं. १८२९ ६. किशन चन्द छाबड़ा - सं. १७६७।। से १८३४। ७. भीवचन्द छाबड़ा पुत्र किशनदास - सं. १८५५ २७ जयचन्द छाबड़ा - सं. १८२९ से १८५५ । से १८५९ तक। २७. जीवराज संघी -- सं. १८३० से १८४०। ८. जगराम पांड्या -- सं. १७७४ से १७९०। २८. मोहनराम पुत्र जीवराज संघी - सं. १८३४ से १८६७ १. यह विवरण जयपुर जैन डायरेक्टरी (पृष्ठ १-१८ से १-२०) से साभार उद्धृत किया गया है। महावीर जयन्ती स्मारिका 2007-4/33 Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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