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दुनिया का आठवाँ आश्चर्य बना दिया। ऐसी प्रतिमा तैयार हुई कि चामुण्डराय की खुशी का ठिकाना नहीं रहा था। उनके मन में अहं पैदा हुआ कि यह प्रतिमा मैंने बनवाई है। मूर्ति स्थापित हो जाने के बाद चामुण्डराय ने अभिषेक के लिए मनों दूध एकत्र कराया, पर उस दूध से मूर्ति की जंघा से नीचे का अभिषेक नहीं हो सका। गुरु की सलाह पर एक वृद्धा, जिसका सरल मन निष्काम भक्ति-भाव, अगाध वात्सल्य से अभिषेक के लिए एक दूध का कटोरा लाई थी। उसके दूध के कटोरे से अभिषेक कराया गया तो वह दूध पूरे शरीर पर पहुँच गया, तब चामुण्डराय का मान गल गया और सरलता के पुजारी बन गये । इस प्रकार से ५७ फुट उन्नत नग्न बिना आधार की यह प्रतिमा पहाड़ की सबसे ऊँची चोटी पर आज एक हजार से अधिक वर्षों से भारतीय और विदेशी भक्तों का तीर्थधाम बनी हुई है। यह धाम
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आज अन्तर्राष्ट्रीय तीर्थस्थल है। प्रतिमा के मस्तकाभिषेक की परम्परा प्रतिमा के स्थापना दिवस से १२ वर्षों के बाद की है।
सन् १९५२ ई. के मस्तकाभिषेक के अवसर पर मैसूर नरेश श्रीमन्त महाराज कृष्णराज ने कहा था - "जिस प्रकार भगवान बाहुबली के अग्रज चक्रवर्ती भरत ने साम्राज्य के अनुरूप इस देश का नाम भरत, बाद में भारतवर्ष कहलाया, उसी प्रकार यह मैसूर राज्य की भूमि भी भगवान गोम्मटेश्वर के आध्यात्मिकसाम्राज्य की प्रतीक है।”
अतः आज हमें १०२५ वर्ष के महोत्सव की में अपनी भावभीनी श्रद्धांजलि अर्पण करते हुए आनन्द पवित्र बेला में भगवान बाहुबली गोम्मटेश्वर के चरणों की प्राप्ति हो रही है।
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- बी-४१७, प्रधान मार्ग, मालवीय नगर, जयपुर १७
वीर - प्रार्थना
→ पं.अनूपचन्द न्यायतीर्थ
हे सन्मति ! सन्मति दो सबको, विघ्न समूल नष्ट हो जाय सत्य, अहिंसा फैल जगत में, सच्चे सुख का बोध कराय जिस बिहार के कुण्ड ग्राम में, जन्म लिया था वह अब आज धूं-धूं कर जल रहा समूचा, आतंकित है पूर्ण समाज फैल रही हैं लपटें उसकी, सारा देश भस्म हो जाय बचा सके उपदेश आपके, ऐसा कोई करो उपाय मानव में मानवता आवे, मानस में हो प्रेम प्रचार रूढ़ि अंध विश्वास मिटे सब, बन जावे हर व्यक्ति उदार लूट पाट अन्यायी चोरी, दूर भगा दे भ्रष्टाचार
पर उपकार भावना जागे, कष्टों से हो बेड़ा पार
दीन दुखी दलितों की सेवा करने में होवे विश्वास
बैर परस्पर भूल जाय सब, विश्व मैत्री होय विकास
७६९, गोदीकों का रास्ता, किशनपोल, जयपुर (राज.) ३०२००३
महावीर जयन्ती स्मारिका 2007-4/17
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