Book Title: Mahavira Jayanti Smarika 2007
Author(s): Bhanvarlal Polyaka
Publisher: Rajasthan Jain Sabha Jaipur

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Page 247
________________ कराना कानूनन अपराध माना जाता था, किन्तु वर्ष मद्यपान को प्रतिबन्धित कराने के लिए गाँधीजी ने १९७१ में भारत सरकार ने The medical Termi- आंदोलन किया था और उनकी इच्छा का आदर करते nation of Pregnancy Act, 1971 बनाकर परिवार- हुए सरकार ने उस पर प्रतिबन्ध लगाया भी था, उसे नियोजन के लिए अपनाये गये गर्भनिरोधक साधनों के ही उसने राजस्व के लोभ में आकर बाद में हटा दिया विफल रहने पर गर्भपात कराने को कानूनी मान्यता और संपूर्ण देशवासियों को मद्यपान की खुली छूट देकर प्रदान कर दी, जिससे प्रतिवर्ष लाखों की संख्या में धीमी आत्महत्या की अनुमति दे दी। आये दिन सुनने भ्रूणहत्याएँ की जाने लगीं। संपूर्ण भारत में लगभग ५१ में आता है कि जहरीली शराब पीकर सैकड़ों लोग मर लाख ४७ हजार गर्भपात प्रतिवर्ष हो रहे हैं और इस गये। संख्या में प्रतिवर्ष वृद्धि हो रही है। (देखिए, श्री गोपीनाथ धूमपान भी प्राणघातक है। यह कैंसर का प्रमुख अग्रवाल द्वारा लिखित लघुपुस्तिका गर्भपात : उचित कारण है। सिगरेट के पैकिटों पर ऐसा सरकार लिखवाती या अनुचित : फैसला आपका/पृ. १७-१८/प्रकाशक भी है। इस पर भी प्रतिबन्ध न लगाकर सरकार ने - प्राच्य श्रमण भारती, १२/ए, प्रेमपुरी, निकट जैन देशवासियों को आत्महत्या की कानुनी मान्यता दे दी। मंदिर, मुजफ्फरनगर २५१००१/ई. सन् १९९८)। यह सरकार द्वारा करायी जानेवाली और मद्यपान तथा सल्लेखना से तो वर्षभर में दो-चार ही मृत्युएँ धूमपान करने वालों के द्वारा की जानेवाली आत्महत्या होती हैं, किन्तु गर्भपात से प्रतिवर्ष ६०-७० लाख है। इसी तरह शासन व्यवस्था में व्याप्त भयंकर भ्रष्टाचार भ्रूणहत्याएँ हो रही हैं। सल्लेखनाधारी को तो मृत्यु से एवं गलत नीतियों के कारण आज तक लोग गरीबी से बचाया ही नहीं जा सकता, क्योंकि सल्लेखना तब छुटकारा नहीं पा सके हैं और हर वर्ष सैकड़ों लोग ग्रहण की जाती है, जब उपसर्ग, रोग आदि के रूप में भुखमरी, कुपोषण, ठंड और लू से पीड़ित होकर मर उपस्थित हुआ मृत्यु का कारण अपरिहार्य हो जाता है। जाते हैं । यह तो सीधी हत्या है, आत्महत्या नहीं। और अत: जिसे मरने से बचाया ही नहीं जा सकता, उसे अब तो विदेशी आतंकवादियों के द्वारा देश में घुसकर बचाने की निरर्थक कोशिश करने की बजाय, जिन जगह-जगह बम विस्फोट कर एक साथ हजारों नागरिकों मानव-शिशुओं का जीवन अभी विकसित ही हो रहा को मौत के घाट उतारा जा रहा है। यह हत्या है या है, जिनकी स्वाभाविक मृत्यु अभी वर्षों दूर है, उनकी आत्महत्या ? यदि यह हत्या है, तो इसका जिम्मेदार कानून की सहमति से गर्भ में ही करायी जा रही हत्या कौन है ? विदेशी आतंकवादी या टाडा जैसे कानून को को रोकना सर्वप्रथम आवश्यक है। सल्लेखना को रद्द कर देनेवालों की सरकार ? देश के नागरिकों की अवैध घोषित कराने के लिए प्रयत्नशील बन्धु पहले जान-माल की रक्षा का जिम्मेदार कौन है ? विशाल स्तर पर होनेवाली इस जघन्य मानवहत्या को जो सल्लेखना आत्महत्या नहीं है, उसे आत्मअवैध कराने के लिए कदम उठायें। क्या यह मानववध हत्या का नाम देकर झठी आत्महत्या को रोकने की उनके मानवतावादी हृदय को तनिक भी उद्वेलित नहीं कवायद झठा मानवतावाद है। जिन मित्र ने सल्लेखना करता ? मृत्यु के कगार पर पहुँचे हुओं की मौत को को आत्महत्या कहकर उसे अवैध घोषित कराने के रोकने का असंभव कार्य करने के इच्छुक मित्र जीवन लिए राजस्थान उच्च न्यायालय में याचिका प्रस्तुत की की ओर कदम बढ़ाते गर्भस्थ मानवों के नृशंस वध को है, उनसे प्रार्थना है कि वे यदि सच्चे मानवतावादी हैं, रोकने का साहस दिखाएँ। तो सर्वप्रथम उपर्युक्त वास्तविक हत्याओं और इसी प्रकार शरीर के नाजुक अंगों को सड़ा- आत्महत्याओं को अवैध कराने का प्रयत्न करें। । गलाकर मनुष्य को मौत का ग्रास बना देनेवाले जिस - ए/२, मानसरोवर, शाहपुरा, भोपाल महावीर जयन्ती स्मारिका 2007-3/65 Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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