Book Title: Karananuyoga Part 2
Author(s): Pannalal Jain
Publisher: Bharat Varshiya Digambar Jain Mahasabha

Previous | Next

Page 16
________________ .. २६. प्रश्न : अचक्षुर्दर्शनावरण किसे कहते हैं ? उत्तर : जो चक्षु इंद्रिय के सिवाय शेष इंद्रियों तथा मन से होने वाले ज्ञान के पूर्ववर्ती सामान्य प्रतिभास को प्रकट न होने दे उसे अचक्षुर्दर्शनावरण कहते हैं। २७. प्रश्न : अवधिदर्शनावरण किसे कहते हैं ? उत्तर : जो अवधिज्ञान के पहले होने वाले सामान्य प्रतिभास को प्रकट न होने दे उसे अवधि दर्शनावरण कहते हैं। २८. प्रश्न : केवल दर्शनावरण किसे कहते हैं ? उत्तर : जो केवलज्ञान के साथ होने वाले सामान्य प्रतिभास को प्रकट न होने दे उसे केवलदर्शनावरण कहते हैं। २६. प्रश्न : ज्ञान और दर्शन किसे कहते हैं तथा उनके कितने भेद हैं ? उत्तर : 'यह घट है, यह पट है' इस प्रकार की विशेषता को लिये हुए जो जानता है उसे ज्ञान कहते हैं। इसके पाँच भेद हैं१. मतिज्ञान २. श्रुतज्ञान ३. अवधिज्ञान ४. मनःपर्ययज्ञान और ५. केवलज्ञान। जो पदार्थ को (११)

Loading...

Page Navigation
1 ... 14 15 16 17 18 19 20 21 22 23 24 25 26 27 28 29 30 31 32 33 34 35 36 37 38 39 40 41 42 43 44 45 46 47 48 49 50 51 52 53 54 55 56 57 58 59 60 61 62 63 64 65 66 67 68 69 70 71 72 73 74 75 76 77 78 79 80 81 82 83 84 85 86 87 88 89 90 91 92 93 94 95 96 97 98 99 100 101 102 103 104 105 106 107 108 109 110 111 112 113 114 115 116 117 118 119 120 121 122 123 124 125